पटना. पीएमसीएच और एनएमसीएच में कोरोना मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी का सही से लाभ नहीं मिल पा रहा है. यहां न के बराबर मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी जाती है. इसका एक प्रमुख कारण यह है कि इस थेरेपी के लिए जरूरी मशीन जो डोनर के ब्लड से प्लाज्मा को अलग करती है, वह इन दोनों अस्पतालों के पास है ही नहीं.
यह मशीन कोरोना की पहली लहर के दौरान ही यहां लगाने की बात कही गयी थी, लेकिन आज जब कोरोना की दूसरी लहर चल रही है, तब तक भी नहीं लगायी जा सकी है. इन अस्पतालों में अगस्त 2020 में प्रमंडलीय आयुक्त के निर्देश के बाद कोविड मरीजों की प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत की गयी थी.
डोनर के शरीर से प्लाज्मा निकालने की मशीन तब भी यहां नहीं थी. ऐसे में इन दोनों अस्पतालों ने आइजीआइएमएस और पटना एम्स से प्लाज्मा मंगवा कर यहां मरीजों को चढ़ाया था. इसके लिए करीब 11 हजार रुपये प्रोसेसिंग शुल्क के तौर भी चुकाये थे. तब दोनों ही अस्पतालों ने जोर शोर से दावा किया था कि अब उनके यहां भी कोविड मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी मिलने लगेगी.
शुरुआती उत्साह दिखाने के बाद यहां न जरूरी मशीन लगायी गयी और न ही प्लाज्मा थेरेपी को सही से चालू रखा गया. हमें मिली सूचना के मुताबिक पीएमसीएच और एनएमसीएच में प्लाज्मा थेरेपी फिलहाल नहीं दी जा रही है. दोनों ही जगह कुछ मरीजों को ही यह दी गयी है.
हमारी पड़ताल में सामने आया कि खून से सेल्स को निकाल कर प्लाज्मा अलग करने की मशीन पीएमसीएच के ब्लड बैंक में लगनी थी, ताकि कोविड मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी जा सके. लेकिन इसी बीच बात आयी कि ब्लड बैंक में मशीन लगाने के लिए जगह की कमी है. इसके कारण यहां न आज तक जगह बनायी जा सकी और न मशीन लग सकी.
प्लाज्मा थेरेपी कई कोविड मरीजों की जान बचाने में कारगर साबित होती है. कुछ मरीजों को अगर यह दी जाये तो उन्हें गंभीर रूप से बीमार होने से बचाया जा सकता है. इसके महत्व को देखते हुए ही पटना एम्स और शहर के कई बड़े निजी अस्पताल प्लाज्मा थेरेपी दे रहे हैं.
कोविड से ठीक हो चुके मरीज के शरीर में कोरोना से लड़ने वाली एंटीबाॅडी मौजूद रहती है. 28 दिन के बाद ठीक हो चुका मरीज इसे दान कर सकता है. यह एंटीबाॅडी प्लाज्मा में रहती है. अगर यह प्लाज्मा कोविड के मरीजों को चढ़ाया जाये, तो कुछ कोविड मरीजों को गंभीर होने से बचाया जा सकता है.
Posted by Ashish Jha