नगर निकाय चुनाव में जनता के बीच विकास का वायदा और बेहतरी की आकांक्षा पर सवारी कर जनप्रतिनिधियों की नगर सरकार गठित हो गयी है. खरमास की वजह से अधिसंख्य नगर निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों ने अपने कार्यालय कक्ष में कदम नहीं रखा है. वे सोमवार से विधिवत कामकाज संभालेंगे. लेकिन, उनके सामने असली चुनौती इसके बाद आनेवाली है. खासकर, राज्य में नवगठित नगर पंचायत और नगर परिषद के निर्वाचित प्रतिनिधियों को कई चुनौतियों से जूझना होगा. वजह यह है कि अब तक किसी भी नवगठित नगर परिषद और नगर पंचायत का अपना कार्यालय भवन नहीं है. फिलहाल उनका दफ्तर पंचायत सरकार भवन और पंचायत भवन में चलाया जा रहा है. यहां तक कि मुख्य पार्षद, उप मुख्य पार्षद के बैठने की व्यवस्था भी नहीं है.
राज्य के 109 नवगठित नगर पंचायतों और आठ नगर परिषद क्षेत्रों के पास अपना भवन नहीं है. सवाल यह उठ रहा है कि निर्वाचित मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद कहां बैठकर काम निबटायेंगे. उनके पास स्टाफ भी नहीं है. सरकार द्वारा राज्य के शहरीकरण को लेकर बड़ी संख्या में नगर निकायों का गठन, उत्क्रमण और सीमा विस्तार किया गया. सभी नगर निकायों में कार्यपालक पदाधिकारी के अलावा गिने-चुने कर्मी है. कहीं-कहीं तो कार्यपालक पदाधिकारी भी अतिरिक्त प्रभार में हैं.
पटना जिला में चार नये नगर निकायों का गठन किया गया. संपतचक नगर परिषद का अपना नगरपालिका भवन नहीं है. इसे सोना गोपालपुर के पंचायत सरकार भवन में चलाया जा रहा है. अभी तक इस नगर परिषद के कार्यालय की जमीन भी चिह्नित नहीं की गयी है. रोहतास में काराकाट, दिनारा, रोहतास और चेनारी को नगर पंचायत क्षेत्र घोषित कर चुनाव कराया गया है. स्थिति यह है कि काराकाट, दिनारा और रोहतास का नगरपालिका भवन पंचायत सरकार भवन को बनाया गया है, जबकि चेनारी नगर पंचायत का कार्यालय पंचायत भवन में बनाया गया है. पंचायत भवन में सिर्फ एक हॉल है जबकि पंचायत सरकार भवन में एक छोटा हॉल और दो-तीन कमरे हैं.
सरकार द्वारा 31 मार्च 2021 को नगर निकायों को फंक्शनल बनाने के लिए करीब 4500 पदों का सृजन किया गया था, लेकिन नियुक्ति नहीं हुई है. इसमें हर नगर पंचायत में एक कार्यपालक पदाधिकारी, एक नगर प्रबंधक, एक प्रधान लिपिक, एक उच्च वर्गीय लिपिक, दो निम्न वर्गीय लिपिक, स्वच्छता एवं अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक सहायक लोक स्वच्छता एवं अपशिष्ट प्रबंधन पदाधिकारी, एक निम्नवर्गीय लिपिक, सहायक नगर कल्याण एवं निबंधन पदाधिकारी, एक निम्नवर्गीय लिपिक, एक सहायक राजस्व एवं लेखा पदाधिकारी, एक उच्च वर्गीय लिपिक, दो निम्नवर्गीय लिपिक, एक अमीन का पद सृजित किया गया.
साथ ही नगर परिषद के लिए एक कार्यपालक पदाधिकारी, एक सहायक विधि पदाधिकारी, दो नगर प्रबंधक, एक प्रधान लिपिक, एक विधि सहायक, उच्च वर्गीय पिलिक, निम्नवर्गीय लिपिक, स्वच्छता एवं अपशिष्ट प्रबंधन के लिए छह पदाधिकारी-कर्मचारी, कल्याण एवं निबंधन विभाग तीन कर्मचारी, राजस्व एवं लेखा प्रभाग में सात पदाधिकारी-कर्मचारी, सहायक टाउन प्लानिंग पर्यवेक्षक जैसे पदाधिकारियों की आवश्यकता है.
नवगठित नगर सरकार के लिए अच्छी खबर यह है कि 15वें वित्त आयोग से चालू वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान नगर निकायों के लिए 1892 करोड़ रुपये देने का प्रावधान रखा गया है. इसके विरुद्ध अब तक 766 करोड़ रुपये जारी हो चुका है. उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी नहीं किये जाने की वजह से शेष राशि अब तक नहीं दी जा सकी है. एक अनुमान के मुताबिक, नगर निकायों पर करीब 10 हजार करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र बकाया है. इसके अलावा छठे राज्य वित्त आयोग के स्तर पर भी निकायों को 1104 करोड़ रुपये आवंटित कर दिये गये हैं, जो निकायों के खाते में पड़ी है. आचार संहिता की वजह से खर्च नहीं की जा सकी. नयी सरकार बनने के बाद अब सभी रुके कार्यों को चालू करने में मदद मिलेगी.
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नगर विकास एवं आवास विभाग ने 75 डाटा इंट्री ऑपरेटरों की तैनाती विभिन्न नगर निकायों में की है. यह डाटा इंट्री ऑपरेटर नगर निकायों में आरटीपीएस का काम देखेंगे. नगर विकास एवं आवास विभाग ने 276 डाटा इंट्री ऑपरेटर की सेवाएं उपलब्ध कराने का अनुरोध बेल्ट्राॅन से किया था. इसके विरुद्ध अक्तूबर 2022 में 125 और अब 13 जनवरी 2022 को 75 डाटा इंट्री ऑपरेटरों की सेवाएं विभिन्न नगर निकायों को दी गयी है.