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कोसी के बाढ़ वाले इलाके में उड़ रही घूल, न बारिश, न बादल, न नहरों में पानी, सूखने लगे खेतों में धान के बिचड़े

अहले सुबह से देर रात्रि तक किसान व उनके परिवार आसमान को निहार रहे हैं कि किधर से बारिश हो व धान रोपनी शुरू हो सके, लेकिन कजरारे बादल नजर तक नहीं आ रहे. मौसम विभाग ने भी अभी बारिश की संभावनाओं से इंकार किया है.

सहरसा. मॉनसून की बेरुखी से जिले में धान की फसल पर असर पड़ता दिखने लगा है. धान के बिचड़े सूखने लगे हैं व खेतों में दरारें पड़नी शुरू हो गयी है. किसान परेशान व हताश दिख रहे हैं. अहले सुबह से देर रात्रि तक किसान व उनके परिवार आसमान को निहार रहे हैं कि किधर से बारिश हो व धान रोपनी शुरू हो सके, लेकिन कजरारे बादल नजर तक नहीं आ रहे. मौसम विभाग ने भी अभी बारिश की संभावनाओं से इंकार किया है. कोसी के किसानों के पास इतना संसाधन नहीं कि वे डीजल पंप सेटों के सहारे धान की रोपनी कर सके व आगे फसल को बचा सके.

दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है तापमान

किसान पिछले 20 दिनों से वर्षा की आस लगाये बैठे हैं, लेकिन उनकी आशा पर तुषारापात हो रहा है. तापमान दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. ऐसे में अगर कुछ दिन और बारिश नहीं हुई तो किसानों के पास धान रोपनी के लिए बिचड़े नहीं होंगे. ऐसे में किसान चाहकर भी धान की रोपनी नहीं कर सकेंगे. हालांकि, राज्य सरकार ने डीजल पर अनुदान की घोषणा करके किसानों को राहत पहुंचाने का प्रयास किया है. अब देखना यह है कि इससे किसान कितना लाभान्वित हो पाते हैं, जबकि पिछले वर्ष भी समय पर अल्प वृष्टि के कारण खरीफ फसल के लिए राज्य सरकार ने अनुदान की घोषणा की थी. जिसमें करीब 20 हजार रैयत व गैर रैयत किसानों ने ऑनलाइन आवेदन किया था.

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अगले पांच दिन भी बारिश की संभावना नहीं

मौसम विभाग ने आगामी पांच दिनों तक मौसम शुष्क रहने व अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहने की संभावना जतायी है. अबतक पिछले वर्ष की अपेक्षा जुलाई महीने में बारिश आधे से भी कम हुई है. जुलाई महीना बीतने को है. किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन बारिश नहीं होने से जिले में धान की रोपनी प्रभावित हो गयी है. जबकि जिले की मुख्य फसल धान की खेती ही है व धान की रोपनी जिले में वर्षा पर ही आधारित है. ऐसे में बारिश नहीं होने से किसान आसमान की ओर टकटकी लगाये हैं.

50 प्रतिशत से अधिक जिले में धान की रोपनी

वहीं कृषि विभाग द्वारा 50 प्रतिशत से अधिक जिले में धान की रोपनी की बात कही गयी है, लेकिन अब तक 30 प्रतिशत धान की रोपनी नहीं हो सकी है. कुछ संपन्न किसान पंपसेट के सहारे धान रोपनी में जुटे हैं, लेकिन अधिकांश किसान आज भी बारिश का इंतजार कर रहे हैं. जो रोपनी हुई भी है, वह वर्षा नहीं होने से सूखने के कगार पर हैं. कोसी क्षेत्र के किसानों में इतनी क्षमता नहीं कि वे पंपसेटों के सहारे जलते धान की फसल को बचा सके. अगवानपुर कृषि विज्ञान केंद्र मौसम वैज्ञानिक अशोक पंडित ने बताया कि 28 जुलाई तक जिले में बारिश की संभावना नहीं है. अधिकतम तापमान बढ़कर 38 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है.

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धान के बिचड़े लगे हैं सूखने

पिछले करीब 20 दिनों से वर्षा नहीं होने से किसानों के हाथ-पांव फूल रहे हैं. किसानों द्वारा तैयार किये गये बिचड़े पानी के अभाव में खेतों में सूखने लगे हैं. जिससे किसानों की परेशानी काफी बढ़ गयी है, जबकि अबतक निर्धारित धान रोपनी के लक्ष्य के करीब धान की रोपनी हो जानी चाहिए. हालात यह है कि अबतक जिले में 30 प्रतिशत भी धान की रोपनी नहीं हो सकी है. जिन किसानों ने पंपसेटों के सहारे धान की रोपनी की है. उनके चेहरे से रौनक गायब है. उनकी फसल सूखने लगी है. वर्षा शुरू नहीं होती है तो जिले में धान की फसल पर बड़ा असर पडेगा. किसानों के तैयार धान के बिचड़े वर्षा के अभाव में सूख रहे हैं, जबकि मौसम विभाग द्वारा अगले पांच दिनों तक वर्षा नहीं होने की संभावना जतायी गयी है. मालूम हो कि आज भी जिले में धान की खेती माॅनसून की बारिश पर ही आधारित है व किसानों के जीविका का मुख्य आधार भी है. इसके अच्छे पैदावार से पूरे वर्ष भर किसानों के परिवार का गुजर-बसर व बच्चों की पढ़ाई होती है.

नहरों में नहीं है पानी

जिले के कुछ भागों में नहरों की सुविधा तो है, लेकिन उसमें पानी नहीं छोड़े जाने से इसका लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है. नहरों के मेंटेनेंस नहीं होने से ये किसी काम के नहीं हैं. समय से पूर्व नहरों की मरम्मति सिंचाई विभाग द्वारा की गयी होती तो नहरों के सहारे कुछ धान की खेती संभव थी, लेकिन नहरों के जीर्णोद्धार नहीं होने से किसान लाभ से वंचित हैं. जो थोड़े नहर काम के लायक भी हैं उनमें पानी नहीं छोड़े जाने से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. खेतों की तरह ही नहरें भी सूखी है. किसान हलकान व परेशान हैं.

भीषण गर्मी में बिजली दे रही दगा

इस भीषण गर्मी में बिजली विभाग का खेल भी बदस्तूर जारी है. जिससे भी धान रोपनी पर असर पड़ रहा है. सरकार की योजना हर खेत में बिजली के पंपसेट से पानी भी कोसी क्षेत्र में आधा अधूरा ही सफल हो पाया है. जिन खेतों के निकट यह सुविधा है भी तो बिजली कटौती से लाभ नहीं मिल पाता है. दिन में घंटों बिजली गुल रहती है. जिससे रोपनी कार्य प्रभावित हो रहा है. खेती के लिए दिन में बिजली उपलब्ध कराने की जरूरत है. जिससे किसानों को लाभ मिल सकता है, लेकिन इन दिनों दिन में ही लगातार घंटों बिजली कटौती की जा रही है. जिससे किसानों को धान रोपनी में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दिन तो दिन रात में भी घंटों बिजली गायब रहने से लोग रातजगा करने पर भी विवश हैं. सरकार के 24 घंटे विद्युत आपूर्ति का वादा नकारा साबित हो रहा है.

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