मिथिलेश, पटना. बिहार विधानमंडल के बजट सत्र के समापन के तत्काल बाद विधान परिषद के मनोनयन कोटे की सीटें भर दी जायेंगी. 22 मार्च विधानमंडल के मौजूदा सत्र का अंतिम दिन है. 16 अप्रैल को इस सरकार के गठन के छह माह पूरे हो रहे हैं.
सरकार के मंत्री अशोक चौधरी को किसी भी सदन की सदस्यता दिलवानी जरूरी है. ऐसी स्थिति में सत्र के स्थगित होने के बाद किसी भी दिन सरकार की ओर से मनोनयन कोटे की सीटों के लिए नामों की सूची राजभवन भेज दी जायेगी.
मनोनयन कोटे की 12 सीटों में एनडीए के दो कोर घटक जदयू और भाजपा की बराबरी की हिस्सेदारी होगी. वीआइपी और हम के लिए कोई गुंजाइश नहीं दिख रही. जानकार बताते हैं कि दोनों दलों में बराबरी की भागीदारी को लेकर जदयू और भाजपा के बीच सहमति बन चुकी है. 12 सीटों में दो सीटें पहले ही बुक हो चुकी हैं.
नीतीश सरकार में भाजपा कोटे से मंत्री बनाये गये जनक चमार और जदयू से मंत्री बनाये गये अशोक चौधरी फिलहाल किसी सदन के सदस्य नहीं हैं. इन दोनों को छह महीने के भीतर किसी न किसी सदन की सदस्यता लेनी होगी. विधानसभा की सभी सीटें वर्तमान में फुल हैं. एकमात्र विधान परिषद के मनोनयन कोटे की सीटों में इन दोनों नेताओं की संभावना बनती दिख रही है.
मनोनयन की छह सीटें भाजपा कोटे से भरी जानी हैं. भाजपा सूत्र बताते हैं कि संसद के चालू सत्र के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष डा संजय जायसवाल दिल्ली में ही हैं. सूत्र बताते हैं सभी नामों पर अभी गहन चिंतन अंतिम दौर में है. इधर, जदयू की छह सीटों के लिए चयनित नामों पर अंतिम सहमति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद आरसीपी सिंह ही देंगे.
वैसे छह में से एक सीट के लिए अशोक चौधरी का नाम तय माना जा रहा है. बाकी की पांच सीटों में दो सवर्ण, दो अति पिछड़ा और एक अल्पसंख्यक नेता के नाम पर सहमति बन सकती है. दो सवर्ण नेताओं में एक राजपूत और एक कायस्थ या एक भूमिहार जाति के नेता ऊपरी सदन में भेजे जा सकते हैं.
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के पहले पिछले साल मई में मनोनयन कोटे की भरी गयी सभी सीटें खाली हो गयी थीं. उस समय की सभी सीटें जदयू कोटे से ही थीं. इस बार सरकार में जदयू और भाजपा की बराबर की हिस्सेदार है, ऐसी स्थिति में मनोनयन कोटे की सीटों में भी बराबर का बंटवारा होने की संभावना है.