ट्रेन हादसे की वजह से रेल परिचालन पर बुरा असर पड़ा. यात्रियों को आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ा. गुरुवार की देर रात तक दानापुर बक्सर लाइन पर परिचालन शुरू नहीं हो पाया. उम्मीद जतायी जा रही है कि शुक्रवार की सुबह तक परिचालन को दुरुस्त कर लिया जायेगा. वहीं पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने कहा कि रात तक ट्रैक को दुरस्त करने का कार्य जारी है. विशेष टीम लगायी गयी है. जल्द ही परिचालन व्यवस्था ठीक कर ली जायेगी. वहीं, मामले की जांच को लेकर उन्होंने बताया कि हादसे की जांच रेलवे बोर्ड के उच्च अधिकारियों द्वारा की जा रही है. रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी.
दानापुर मंडल के रघुनाथपुर स्टेशन के पास नार्थ-इस्ट एक्सप्रेस में हुए भीषण हादसे में चार लोगों की जान चली गयी और करीब 70 से अधिक लोग घायल हुए. मगर, हादसा जितना बड़ा था, उस हिसाब से बहुत अधिक जानें नहीं गयीं. इलेक्ट्रिकल विद्युत विभाग कार्यालय अधीक्षक सुनील कुमार सिंह ने बताया कि इस ट्रेन में कोच एलएचबी नहीं लगे होते तो मृतकों और घायलों का आंकड़ा और बढ़ जाता. उन्होंने बताया कि ट्रेनों में दो तरह के कोच लगते हैं एक एलएचबी और दूसरा आइसीएफ कोच होता है. दोनों कोच के निर्माण में तकनीक का अंतर होता है.
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सुनील सिंह ने बताया कि लिंक हॉफमेन बुश (एलएचबी) कोच को बनाने की फैक्ट्री कपूरथला, पंजाब में है और सबसे पहले कोच 2000 में तैयार किया गया था. एचएलबी कोच यात्रियों के लिए काफी आरामदायक होते हैं. दुर्घटना की स्थिति में ये कोच कम क्षतिग्रस्त होते हैं और यात्रियों के सुरक्षित रहने की संभावना अधिक रहती है. तेजस राजधानी, शताब्दी और दुरंतो सहित कई प्रमुख ट्रेनों में एलएचबी कोच ही लगाये गये हैं. दुर्घटना के दौरान कोच एक दूसरे से टकराने के बाद सीधे खड़े होते हैं और फिर अपनी स्थिति में लौट आते हैं. एक ट्रेन में अधिकतम 22 कोच ही लग सकते हैं. ये स्टेनलेस स्टील की वजह से हल्के होते हैं. इसमें डिस्क ब्रेक का प्रयोग होता है. इसके रखरखाव में कम खर्च होता है. इसमें बैठने की क्षमता ज्यादा होती है स्लीपर में 80, 3 एसी 72 होते हैं.
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बक्सर-आरा के बीच रघुनाथपुर के पास बुधवार की देर रात नॉर्थ इस्ट एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद गुरुवार को पटना जंक्शन पर यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. हादसे के बाद पटना जंक्शन व इस रूट पर चलने वाली कई ट्रेनों को कैंसिल व डाइवर्ट कर दिया गया था. इस कारण जंक्शन पर सुबह से ही काफी भीड़ हो गयी. हजारों यात्री ट्रेनों के बारे में अपडेट जानकारी के अभाव में जंक्शन पर पहुंचे और अपनी यात्रा के बारे में जानकारी लेने के लिए परेशान रहे. वहीं, हादसे के कारण पटना जंक्शन पर भी कई ट्रेनें खड़ी थीं. गुरुवार को यात्रियों की भीड़ के कारण जंक्शन अस्त-व्यस्त हो गया था.
ज्यादातर ट्रेनों के डायवर्ट और कैंसिल होने के कारण लोगों को पैसेंजर ट्रेन की सुविधा उपलब्ध करायी गयी. प्लेटफॉर्म संख्या आठ, नौ व 10 पर लोगों की भीड़ अधिक थी. यहां से चलने वाली पैसेंजर ट्रेन जसीडीह व सहरसा तक चल रही है. यही वजह है कि लोग ट्रेन का नंबर और रूट देखे बिना ही सीटों पर कब्जा करने में लगे थे. पैसेंजर ट्रेन में चढ़ने के लिए यात्री एक-दूसरे से उलझ रहे थे. वहीं, करीब दो बजे गया से आने वाली ट्रेन जब पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म संख्या नौ पर रुकी, तो भीड़ अधिक होने के कारण लोगों के बीच धक्का-मुक्की होने लगी. पटना जंक्शन पर ट्रेन से उतरने वाले यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. पूछताछ केंद्र व टिकट काउंटर के पास लगातार लोगों का जमावड़ा लगा रहा. इनमें से कई लोग ट्रेन डायवर्ट रहने से भी परेशान होकर कभी हेल्प डेस्क तो कभी टिकट काउंटर का चक्कर लगाते रहे.