मुजफ्फरपुर. एसकेएमसीएच के पीआइसीयू में मंगलवार व बुधवार को एक भी बच्चा चमकी बुखार के भर्ती नहीं हुए. वहीं मंगलवार को जब बारिश की बूंदें पड़ी तो एसकेएमसीएच में अपने बच्चे के स्वस्थ होने के इंतजार में बैठी माताओं की आस जगी कि अब उसका बच्चा स्वस्थ हो जायेगा. क्योंकि शिशु रोग विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम अगर बदले और बारिश हो जाय तो बीमारी अपने आप खत्म होने लगती हैं. जो बच्चे भर्ती है, उसमें भी जल्द सुधार होने लगता हैं.
जब बारिश होने लगी तो पीआइसीयू के पास बैठी माताएं के आंखों में बच्चे के स्वस्थ होने की आस जगने लगी. वह पीआइसीयू में इलाज कर रहे डॉक्टरों से पूछा बैठती है कि अब बच्चों में सुधार हो जायेगा. मुस्कुराते हुए डॉक्टरों कहते है आपका बच्चा ठीक ही है, जल्द ही आप उसे घर लेकर जायेंगे. सुशीला देवी, विजय कुमार,के बच्चे पांच दिनों से चमकी बुखार से भर्ती हैं.
हर दिन यह इलाज कर रहे डॉक्टरों से यही जानने की कोशिश करते है कि उसका बच्चा कब स्वस्थ होंगे. इसकी बात डॉक्टर कहते है कि मौसम अगर ठंडा हो जाय तो उसमें सुधार होने लगेगा. डॉ गोपाल शंकर सहनी कहते है कि वह पिछले 14 सालों से ऐसे बच्चे का इलाज कर रहे हैं. इसकी वजह बढ़ता तापमान हैं. अगर बारिश हो जाय तो बच्चे का आना भी कम हो जायेगा और जो बच्चे बीमार है, वह भी जल्द ठीक होने लगते हैं.
इधर, चमकी-तेज बुखार (एईएस)बीमारी से बच्चे पीड़ित ना हो इसके लिये सरकार ने पहल करनी शुरू कर दी हैं. बुधवार को एसकेएमसीएच में पटना एम्स की आठ सदस्यीय टीम पहुंची. टीम ने पीकू में भर्ती बच्चों के लक्षण व उसके इलाज की जानकारी ली. इसके बाद टीम अधीक्षक बाबू साहब झा से उन बच्चों की जानकारी ली, जो एइएस से पीड़ित होने के बाद स्वस्थ हुए हैं. उसके घर व प्रखंड की जानकारी लेने के बाद टीम वहां जाकर एइएस पर शोध करेगी. आठ सदस्यीय टीम का नेतृत्व कर रहे पटना एम्स के डॉ सीएन सिहं ने कहा कि एइएस से प्रभावित प्रखंडों में पीड़ित बच्चों के घर व उसके रहन सहन का सर्वे कराया जायेगा.
इसके साथ ही विशेषज्ञों ने जो एइएस के बदले तीन नाम इन्सेफेलोपैथी, प्री. मानसून इन्सेफेलोपैथी व हीट स्ट्रेस प्रस्तावित किये हैं, इसके लिये रिसर्च टीम गांव में आकर इसका रिसर्च करेगी. वहीं बच्चों में हो रहे बीमारी का कारण उमस है या अन्य कारण इस पर भी रिसर्च किया जायेगा. टीम प्रखंडों में जाकर दिन व रात के उमस का भी तापमान देखेगी. इधर डॉ गोपाल शंकर सहनी ने कहा कि उमस के कारण बच्चे के शरीर में जो माइटोकोडिया होते है, वह प्रभावित होने लगते हैं. जिससे बच्चों के शरीर में ग्लूकोज कम होने लगता हैं.
शोध में मई व जून में जो गर्मी होती है, उसमें बच्चे बीमार हो रहे हैं. लेकिन ऐसी ही गर्मी बरसात के बाद निकलने वाली धूप में भी होती है. उस वक्त बच्चों में क्या चमकी तेज बुखार होता है या नहीं, अगर होता है तो उस वक्त उसके दिमाग की स्थित क्या होती हैं. बीमारी का मुख्य कारण गर्मी व कुपोषण है. इसके साथ खास वातावरण को भी शोध में रखा गया हैं.