पटना. केंद्र सरकार ने छोटे व्यवसायियों खासकर खोमचे या ठेले वाले स्ट्रीट वेंडरों को ऋण देने के लिए विशेष योजना शुरू की है. पीएम स्वनिधि योजना के माध्यम से 10 हजार रुपये ऋण देने की योजना है, लेकिन तकनीकी कमियों और विभागीय स्तर पर अनदेखी की वजह से 17 हजार से ज्यादा आवेदन बैंकों में लंबित पड़े हुए हैं.
इस योजना के तहत राज्य में अब तक बैंकों ने 18 हजार 700 वेंडरों का ऋण स्वीकृत किया है, लेकिन महज साढ़े सात हजार लोगों को ही ऋण मिल पाया है. शेष आवेदनों में कई छोटी-मोटी जानकारी नहीं होने या इनकी प्रोसेसिंग में तकनीकी खामी होने के कारण संबंधित वेंडरों को लोन नहीं मिल रहे हैं.
बैंकों से आवेदन स्वीकृत होने के बाद इन्हें संबंधित योजना के पोर्टल पर अपलोड करना होता है. इसके बाद यहां से अनुमोदन होने के बाद बैंकों से स्तर पर लोन दिये जाते हैं. लंबित पड़े आवेदनों में बड़ी संख्या में यह देखा गया है कि वेंडर बिना लाइसेंस के ही आवेदन कर दे रहे हैं. ये लाइसेंस इन्हें नगर निगम या नगर निकायों या जिला या अनुमंडलीय स्तरीय कार्यालयों से मिलते हैं.
इन कार्यालयों के स्तर से वेंडरों को लाइसेंस जारी नहीं करने की वजह से इनके आवेदन की प्रोसेसिंग नहीं हो पाती है. जिन आवेदनों में वेंडर लाइसेंस की जरूरत नहीं है, उनमें जिला स्तरीय कार्यालय से ‘लेटर ऑफ रेकॉम्नडेशन (एलओआर)’ उपलब्ध कराने का प्रावधान है, परंतु एलओआर भी अधिकतर लंबित आवेदनों में मौजूद नहीं हैं. विभाग इन्हें जारी करने में कोई खास रुचि नहीं दिखाते हैं. इस वजह से वेंडरों के लोन से संबंधित आवेदन अटक रह जाते हैं.
इसके अलावा यह भी देखने को मिला कि कई आवेदकों के आवेदन को 30 किमी दूर के बैंकों में जोड़ दिया गया है. इस वजह से इनके लिए इतनी दूर के बैंक में जाकर आवेदन की प्रोसेसिंग कराना संभव नहीं हो पा रहा है.
इन प्रमुख कारणों से पीएम स्वनिधि योजना के जरिये वेंडरों को बिना ब्याज के छोटे ऋण नहीं मिल रहे हैं. कुछ दिनों पहले हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक में भी इस मुद्दे को बैंकों की तरफ से प्रमुखता से उठाया गया था. राज्य स्तर पर संबंधित विभागों से इसमें रुचि लेने की अपील की थी, ताकि बड़ी संख्या में लंबित पड़े इन आवेदनों का निबटारा जल्द कराया जा सके.
Posted by Ashish Jha