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जमुई में भगवान महावीर ही नहीं, जैन धर्म के इस प्रवर्तक का भी जुड़ा है इतिहास, देखें तस्वीरें

जमुई जिले में जैन धर्म के कई मंदिर हैं, जिनमें से एक काकंदी यानी काकन गांव में स्थित है. यहां जैन धर्म के 9वें तीर्थंकर भगवान सुविधिनाथ का 1800 साल पुराने मंदिर होने के साक्ष्य मिले हैं.

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जमुई जिले में जैन धर्म के कई मंदिर हैं, जिनमें से एक काकंदी यानी काकन गांव में स्थित है. यहां जैन धर्म के 9वें तीर्थंकर भगवान सुविधिनाथ का 1800 साल पुराने मंदिर होने के साक्ष्य मिले हैं. आज भले ही जमुई में जैन धर्म मानने वाले लोगों की आबादी नहीं रही पर यहां कभी बड़ी संख्या में जैन लोग रहा करते थे.

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जमुई जिले के खैरा प्रखंड क्षेत्र के क्षत्रिय कुंड जन्म स्थान में अवस्थित जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का मंदिर जिले का इकलौता जैन मंदिर नहीं है. इसके अलावा भी यहां कई और जैन मंदिर हैं. जहां साल भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है.

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जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्म स्थान के अलावा भी जिले में कई ऐसे जैन मंदिर हैं, जो जैन धर्माबलंबियों के आस्था का केंद्र हैं, तथा यहां हर साल बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालु आते हैं.

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जैन धर्म के धर्मावलंबियों के लिए काकन गांव विशेष महत्व रखता है. जमुई जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर काकन गांव में जैन धर्म के 9वें तीर्थंकर भगवान सुविधिनाथ का मंदिर है. सुविधिनाथ काकंदी नरेश के पुत्र थे और उन्होंने जैन धर्म का प्रचार प्रसार किया था.

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जैन धर्म के 9वें तीर्थंकर भगवान सुविधिनाथ का बचपन का नाम पुष्पदंत था. यह काकांदी राज्य के राजा महाराज सुग्रीव और रानी रामा देवी के पुत्र थे. महाराज सुग्रीव इक्ष्वाकु वंश के राजा थे और भगवान सुविधिनाथ का संबंध भी इक्ष्वाकु वंश से हीं था.

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भगवान सुविधिनाथ नाथ हजारों वर्ष पूर्व यहां आए थे और उनके होने का प्रमाण सभी जैन धर्म ग्रंथों में भी मौजूद है. जैन धर्म के महत्वपूर्ण पुस्तक भगवती आराधना (गाथा-1559) और आराधना कोष (कथा-67) में सुवुधीनाथ के 1800 वर्ष पहले होने के प्रमाण मिलते हैं.

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