बिहार के बाजार में मिलेंगे अब मछली का आचार, कॉकलेट, बॉल्स व रेडी टू इट फिश करी
बिहार में इसकी पांच इकाई लगेगी. इन इकाइयों में इन उत्पादों को तैयार कर इसे बाजार में उतारा जायेगा. सरकार की ओर से इसकी स्वीकृति दे दी गयी है. पशु व मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से निजी क्षेत्रों में इन पांचों इकाइयों को लगाया जायेेगा.
मनोज कुमार, पटना. बाजार में फ्राइड चिकन के कई ब्रांड उपलब्ध हैं. ये करोड़ों में व्यापार कर रहे हैं. इसी की तर्ज पर अब बिहार में मछलियों के लजीज रेडी टू इट व्यंजन बनाकर बेचे जायेंगे. इसका प्रारूप तैयार कर लिया गया है. फिश पिकल, फिश बॉल्स, फिश कटलेट, फिश करी इन एएलयू पैक में तैयार होंगे. बिहार में इसकी पांच इकाई लगेगी. इन इकाइयों में इन उत्पादों को तैयार कर इसे बाजार में उतारा जायेगा. सरकार की ओर से इसकी स्वीकृति दे दी गयी है. पशु व मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से निजी क्षेत्रों में इन पांचों इकाइयों को लगाया जायेेगा. इसमें मछली व्यवसाय से जुड़ीं महिलाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा.
मछली मार्केट की वेस्टेज से तैयार होंगे पशु आहार
राज्य के सभी मछली बाजारों से वर्तमान में 2.4 लाख टन मत्स्य अपशिष्ट निकल रहा है. इससे 500 टन ड्राइड फिश स्केल तथा एक लाख टन फिश साइलेज तैयार किया जायेगा. शेष अपशिष्ट का जैविक खाद, पशु आहार बनाने में इस्तेमाल किया जायेगा. इसके लिए भी पांच अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई लगायी जायेगी.
कॉस्मेटिक बनाने वाली कंपनियों को बेचा जायेगा वेस्टेज
मछलियों की त्वचा से निकलने वाली फिश स्केल से काइटिन निकालकर इसे एकत्रित किया जायेगा. इसके बाद इसे धूप में सुखाकर स्टोर किया जायेगा. इस फिश स्केल का उपयोग कॉस्मेटिक बनाने में किया जाता है. धूप में सूखे फिश स्केल को कॉस्मेटिक बनाने वाली कंपनियों को बेचा जायेगा. इससे आय के स्त्रोत बनेंगे.
प्रयोगशाला मछलियों के आहार की गुणवत्ता की जांच होगी
हाल के दिनों में तालाब से लेकर घर में एक्वेरियम में मछली पालन का चलन बढ़ा है. इससे बाजार में कई तरह के मछली आहार भी आ गये हैं. मछलियों के आहार की गुणवत्ता की जांच के लिए प्रयोगशाला का निर्माण होगा. मात्स्यिकी महाविद्यालय ढोली मुजफ्फरपुर और मत्स्य अनुसंधान केंद्र में प्रयोगशाला बनेगी. इस पर नौ करोड़ दो लाख रुपये खर्च होंगे.