अब फर्जी कंपनी खोलना नहीं होगा आसान ऑन-स्पॉट होगी जिओ-टैगिंग
जीएसटी (माल एवं सेवा कर) की चोरी या इसमें गड़बड़ी करने के अनेक मामलों में फर्जी कंपनियों की भूमिका काफी अहम पायी गयी है. इन शेल या फर्जी कंपनियों पर शिकंजा कसने में जीएसटी ने नयी निजी कंपनियों के निबंधन को लेकर नया नियम बनाया है.
कौशिक रंजन, पटना. जीएसटी (माल एवं सेवा कर) की चोरी या इसमें गड़बड़ी करने के अनेक मामलों में फर्जी कंपनियों की भूमिका काफी अहम पायी गयी है. इन शेल या फर्जी कंपनियों पर शिकंजा कसने में जीएसटी ने नयी निजी कंपनियों के निबंधन को लेकर नया नियम बनाया है.
पब्लिक या प्राइवेट लिमिटेड समेत अन्य सभी तरह की निजी कंपनियों के निबंधन में इस नये नियम को पूरी सख्ती से लागू किया जायेगा. इसके तहत कंपनी के रजिस्टर्ड कार्यालय के नाम और पते का फिजिकल वेरिफिकेशन जीएसटी के पदाधिकारी स्वयं करेंगे. साथ ही कंपनी के स्थान पर पहुंच कर उसके कार्यालय और इस पर लगे बोर्ड की फोटो खींचेंगे और ऑन-स्पॉट इन सभी फोटोग्राफ को जिओ-टैगिंग के साथ जोड़ते हुए इसे सेव करेंगे.
यानी इनकी फोटोग्राफी करते समय गूगल लोकेशन को ऑन करना होगा, जिससे कंपनी के नाम-पते के साथ एकदम सही लोकेशन भी दर्ज हो जाये. जिओ-टैग वाले इन फोटोग्राफ को भी कंपनी के प्रोफाइल के साथ लगाया जायेगा और यह जीएसटी के पास कंपनी के अन्य दस्तावेजों के साथ ही जमा रहेंगे. बाद में अगर यह गलत या फर्जी पाया जाता है, तो संबंधित पदाधिकारी पर भी सख्त कार्रवाई की जायेगी.
ऑन-स्पॉट होगी जिओ-टैगिंग
इससे गलत नाम-पते या एक ही पते-ठिकाने पर अलग-अलग नामों से दर्जनों फर्जी कंपनियां खोलने का सिलसिला काफी हद तक थम जायेगा. साथ ही फर्जी कंपनी खोल कर कई तरीकों से जीएसटी की चोरी करने की प्रवृत्ति में भी काफी हद तक कमी आयेगी.
इस नयी पहल से नयी निजी कंपनियों का निबंधन कराना थोड़ा मुश्किल हो गया है. अब फर्जी कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराने में काफी समस्या आयेगी. कंपनी के सत्यापन की पूरी प्रक्रिया ही नये तरीके से की जायेगी.
टैक्स की चोरी की जा रही थी
बिहार के अलावा झारखंड और कोलकाता में भी बड़ी संख्या में शेल कंपनी बनाकर टैक्स चोरी करने या इन कंपनियों के नाम पर इ-वे बिल जेनेरेट करने के काफी मामले सामने आये हैं. हाल में झारखंड में ऐसी कंपनियों की आड़ में 300 करोड़ की टैक्स चोरी का खुलासा हुआ है.
इससे पहले बिहार में करीब 900 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी फर्जी इ-वे बिल के आधार पर किया गया था. इसमें अधिकतर रेडिमेड कपड़ों के व्यापार से जुड़े मामले थे. जांच के दौरान सिर्फ कागज पर ही चल रही दर्जनों कंपनियां पकड़ी गयी हैं. हकीकत में इनका कोई अता-पता ही नहीं था.
Posted by Ashish Jha