पटना. बिहार में बेहतर स्वास्थ सुविधाओं को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने कई बदलाव किये है. बिहार के सरकारी अस्पतालों में अब आपातकालीन सेवा के लिए इमरजेंसी मेडिकल टीम का गठन होगा. साथ ही सरकारी अस्पतालों में दूसरे शिफ्ट के लिए अलग से रजिस्ट्रेशन होगा. यानी बिहार के उन अस्पतालों में जहां शाम के समय डॉक्टर की सुविधा बहाल है, वहां अब शाम के समय में मरीजों को ओपीडी में डॉक्टरों से इलाज करवाने के लिए अलग से रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि यह नियम तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है. फिलहाल यह सुविधा केवल मेडिकल कॉलेज और सदर अस्पतालों में मिलेगी.
बिहार सरकार अस्पताल और फिलहाल शाम की ओपीडी की अवधि गर्मी के मौसम में यानी मार्च से अक्टूबर तक दोपहर 4:00 से शाम 6:00 बजे तक है, जबकि ठंड के दिनों में यानी नंबर से फरवरी तक दोपहर 3:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक है. स्वास्थ्य विभाग की तरह से दी गई जानकारी के अनुसार वर्तमान में सुबह की ओपीडी का समय 9:00 बजे से 2:00 बजे तक का है. ऐसे में सुबह के शिफ्ट के लिए सुबह 8:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक रजिस्ट्रेशन होगा. वहीं, शाम की शिफ्ट के साथ मार्च से अक्टूबर तक दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक रजिस्ट्रेशन होगा, जबकि नवंबर से फरवरी तक दोपहर 2.30 बजे से शाम 4 बजे से रजिस्ट्रेशन होगा.
दरअसल स्वास्थ विभाग को यह देखने को मिल रहा था कि शाम में डॉक्टरों से दिखवाने वाले मरीजों को भी सुबह 8:00 बजे से दिन के 1:30 बजे के बीच रजिस्ट्रेशन कराने की मजबूरी थी. आये दिन यह देखने को मिल रहा था कि यदि किसी मरीज को दूसरी शिफ्ट में भी दिखाना होता था तो परिजन को सुबह में ही अस्पताल पहुंचना पड़ता था. इस कारण मरीज सुबह में ही डॉक्टर से मिलना चाहते थे और सुबह के शिफ्ट में भीड़ अधिक हो जाती थी. इसके बाद अब यह निर्णय लिया गया है.
केंद्र सरकार ने आपातकालीन सेवा और ट्रॉमा सेंटर के बीच सहयोग पर जोर दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण की अध्यक्षता में आयोजित सेमिनार में इस पर सहमति बनी. साथ ही, इसके तहत इमरजेंसी मेडिकल टीम का भी गठन किया जाएगा. बिहार से इस सेमिनार में राज्य स्वास्थ्य समिति के एसपीओ डॉ. अभिषेक कुमार सिन्हा शामिल हुए. उन्होंने पंचायती राज प्रतिनिधियों को इसमें जोड़ने की बात कही. नेशनल इमरजेंसी मेडिकल टीम की पहल का उद्देश्य आपदाओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के जवाब में स्वास्थ्य सेवा जनशक्ति की तैनाती के पारंपरिक उत्तरदायी तरीके को सुधारना है.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सकों की वरीयता तय करने के लिए सात सदस्यीय समिति बनायी है. समिति का अध्यक्ष संयुक्त सचिव सुधीर कुमार को बनाया गया है. अभी बिहार स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के चिकित्सकों की वरीयता वर्ष 2008 तक और औपबंधित वरीयता वर्ष 2019 में निर्गत है. इसके बाद चिकित्सा पदाधिकारियों की नियुक्ति हुई है, लेकिन इनकी वरीयता तय नहीं है. इसलिए यह समिति बनायी गयी है ताकि चिकित्सकों की वरीयता तय की जा सके.