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बिहार में अब जमीन के संवेदनशील मामलों का भी आपराधिक मुकदमों की तरह हाेगा स्पीडी ट्रायल

जमीन से जुड़े विवादों को जल्दी- से- जल्दी खत्म करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग एक और कदम आगे बढ़ गया है़ संवेदनशील जमीनी विवाद के मामलों का ट्रायल आपराधिक मामलों के तर्ज पर स्पीडी कराने का निर्णय लिया गया है़

पटना. जमीन से जुड़े विवादों को जल्दी- से- जल्दी खत्म करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग एक और कदम आगे बढ़ गया है़ संवेदनशील जमीनी विवाद के मामलों का ट्रायल आपराधिक मामलों के तर्ज पर स्पीडी कराने का निर्णय लिया गया है़ यानी विभाग आने वाले दिनों में जिला प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकता सूची तैयार करेगा और सूचीबद्ध मामलों में अदालत से जल्द- से- जल्द फैसला देने का अनुरोध करेगा़

स्पीडी ट्रायल के योग्य विवादों को चिह्नित करने के लिए राज्यभर में एक बार फिर आंकड़ा जुटाया जा रहा है़ वहीं, डीसीएलआर की मनमानी रोकने के बाद एडीएम की कोर्ट को भी ऑनलाइन करने की तैयारी है़ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्यभर में जमीन से जुड़े करीब दस हजार ऐसे विवाद हैं, जिनको कानून- व्यवस्था के लिए खतरा माना जा रहा है़

चौकीदार और थाना की रिपोर्ट के आधार यह मामले चिह्नित किये गये हैं. अपर मुख्य सचिव ने सभी डीएम को एक पत्र लिख कर ऐसे मामलों में विशेष कार्रवाई कराने के निर्देश दिये है़ बीते दिसंबर माह में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की समीक्षा बैठक में ऐसे मामलों की संख्या 8082 सामने आयी थी़

भूमि विवादों का हो रहा वर्गीकरण

सरकार भूमि विवादों को चार श्रेणियां में बांट रही है़ अंचल, अनुमंडल और जिला स्तर पर आने वाले मामलों की छंटनी की जा रही है़ व्यक्तिगत भूमि विवाद, कोर्ट केस और विधि व्यवस्था को प्रभावित करने वाले विवाद अलग श्रेणी में रखे जा रहे हैं.

बड़ी वारदातों के पीछे जमीन विवाद बड़ा कारण

सरकार ने हत्या, बलवा आदि मामलों की समीक्षा में पाया था कि अधिकतर घटनाओं के पीछे जमीन विवाद हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए भूमि विवादों का जमीनी स्तर पर पता लगाने के लिए 534 अंचलों में तैनात चौकीदारों की जिम्मेदारी तय की गयी थी.

ऐसा भूमि विवाद है, जिसके कारण हिंसा हो सकती है. शांति- व्यवस्था को खतरा है. गांवों में जमीन का विवाद कौन- कौन के बीच चल रहा है. उसकी लिखित सूचना अंचलाधिकारी को देनी होती है.

Posted by Ashish Jha

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