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बिहार में अब छात्र पढ़ेंगे जल-जीवन-हरियाली, विवि के कोर्स में होगा शामिल

शिक्षा विभाग लॉकडाउन के बाद कुछ बड़े निर्णय लेने जा रहा है. इसमें सबसे पहला और अहम निर्णय राज्य सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट जल-जीवन-हरियाली अभियान से जुड़ा होगा.

By Prabhat Khabar News Desk | June 1, 2021 1:54 PM

पटना. शिक्षा विभाग लॉकडाउन के बाद कुछ बड़े निर्णय लेने जा रहा है. इसमें सबसे पहला और अहम निर्णय राज्य सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट जल-जीवन-हरियाली अभियान से जुड़ा होगा. दरअसल, प्रदेश के सभी परंपरागत विश्वविद्यालयों के डिग्री कॉलेजों के पाठ्यक्रम में जल-जीवन-हरियाली की विषय वस्तु को शामिल करने की योजना है.

शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इस संबंध में उच्च स्तरीय विचार मंथन के बाद इस तैयारी पूरी कर ली है. लॉकडाउन हटने के बाद इस संबंध में औपचारिक घोषणा तय मानी जा रही है.

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने लॉकडाउन की अवधि में सक्रियता रखते हुए उच्च शिक्षा के कायाकल्प के संबंध में व्यापक रणनीति बनायी है. इसके तहत बिहार के पर्यावरण के संबंध में उल्लेखनीय पाठ्य सामग्री को उच्च शिक्षा में विषय वस्तु बनाया जायेगा.

इसके अलावा शिक्षा विभाग एक और अहम निर्णय लेने जा रहा है. विभाग लॉकडाउन के तत्काल बाद छात्राओं की अधिक संख्या वाले कॉलेजों को घाटानुदान, बकाया अनुदान और अन्य वित्त पोषण योजनाओं के तहत उन्हें आर्थिक मजबूती देगा.

ये ऐसे निजी और सरकारी कॉलेज होंगे, जहां छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक हैं. शिक्षा मंत्री इसके लिए पृष्ठभूमि तैयार कर चुके हैं. दरअसल ऐसे कॉलेजों को विशेष अनुदान दिलाने के लिए रास्ता निकालने की कवायद की जा रही है.

इसके अलावा शिक्षा विभाग ने नैक को अनिवार्य बनाने जा रहा है. वह इस रणनीति पर काम कर रहा है कि अगर कॉलेजों ने नैक नहीं लिया तो उनके वित्तीय अनुदान पूरी तरह रोक दिया जायेगा. अभी तक सिर्फ विकास अनुदान रोका जाता था. राजभवन से इस मामले में अनुमति पाने का प्रयास किया जा रहा है.

हालांकि, नैक लेने में किसी भी प्रकार की में बाधा न हो, इसके लिए सभी कॉलेजों को ट्रेनिंग दी जायेगी. नैक के लिए अससेमेंट रिपोर्ट तैयार करने में विशेषज्ञों की मदद भी दी जायेगी. इसी तरह 1976 में बनाये गये बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम में आधारभूत संशोधन की कवायद प्रस्तावित की जा रही है.

बिहार उच्चतर शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष डॉ कामेश्वर झा ने कहा कि जन-जीवन-हरियाली अभियान की सफलता प्रेरित करने वाली है. इसलिए शिक्षा मंत्री चाहते हैं कि इसे अब अकादमिक रूप दिया जाये.

इसे अब विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयार की जा रही है. इसके अलावा महिला प्रधान कॉलेजों को सशक्त बनाने की दिशा में भी मंथन चल रहा है. लॉकडाउन की अवधि में शिक्षा मंत्री ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए रणनीति बनायी है.

Posted by Ashish Jha

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