मिहिर, भागलपुर. जिले में अब हब- स्पोक मॉडल से ग्रामीण एवं दूर दराज इलाके में रहने वाले मरीजों का इलाज होगा. सरकार इस मॉडल को लागू करने की तैयारी में लगी है. इसमें मरीज अपने घर में ऑनलाइन इलाज करा सकेंगे. इतना ही नहीं मरीज अपनी पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी जांच रिपोर्ट भी ऑनलाइन दिखा देंगे.
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने सिविल सर्जन को जल्द से जल्द यह सेवा आरंभ करने का निर्देश दिया है. पहले चरण में सरकार की ओर से चयनित पीएचसी में यह सेवा टेली मेडिसिन के माध्यम से शुरू किया जाना है. इसके लिए जरूरी संसाधन जल्द से जल्द खरीदने का निर्देश भी दिया जा चुका है.
मॉडल के लिए अनमोल टेबलेट का प्रयोग किया जायेगा. यह टेबलेट नर्स के पास पहले से उपलब्ध है. इसमें फोर जी सिम लगा कर नेट की मदद से नर्स ऑनलाइन मरीज के इलाज में सहयोग करे. जबकि हब के लिए डेस्क टॉप, वेबकेम हेडफोन और इंटरनेट की व्यवस्था होगी. यह सुविधा मिलते ही यह मॉडल जिले में आरंभ हो जायेगा.
सरकार यह सुविधा मरीजों को सप्ताह में दिन दिन उपलब्ध करायेगी. सुबह नौ से दिन के दो बजे मरीज सोमवार, गुरुवार और शनिवार को इसका लाभ ले सकते हैं. यह सेवा बेहतर तरीके से मरीज को मिले इसे लिए एएनएम और चिकित्सा पदाधिकारी मौजूद रहेंगे. इस सेवा को आरंभ करने से पहले नर्स और चिकित्सा पदाधिकारी को प्रशिक्षण भी दिया जायेगा.
इस सुविधा के बीच मरीज को चिकित्सा का प्रिस्क्रिप्सन भी उपलब्ध कराया जायेगा. जो स्वास्थ्य उपकेंद्र से नर्स प्रिंट कर मरीज को देंगी. इलाज होने के बाद मरीज को उपकेंद्र से ही दवा उपलब्ध कराया जायेगा. अगर मरीज को एंबुलेंस से तुरंत लाना जरूरी हुआ तो उसे डॉक्टर की सलाह पर यह सेवा भी उपलब्ध करायी जायेगी. इसके लिए अलग से नोडल पदाधिकारी को नियुक्त किया जायेगा.
प्रतिदिन 10 घंटे ही संचालित होनेवाले गोराडीह पीएचसी में 24 घंटे आपातकालीन सेवा आरंभ कर दी गयी है. छह जनवरी को डीएम सुब्रत कुमार सेन ने गोराडीह पीएचसी का निरीक्षण किया था.
इस दौरान डीएम को पता चला कि पीएचसी का संचालन सुबह आठ से शाम छह बजे तक ही होता है. आपात स्थिति में इस इलाके के मरीजों को सदर अस्पताल या अन्य अस्पतालों में ले जाना पड़ता है. डीएम ने निर्देश दिया था कि पीएचसी का 24 घंटे संचालन हो. इस पर सिविल सर्जन ने डीएम को अवगत कराया है कि निर्देश का अनुपालन कर दिया गया है.
कोरोनाकाल में टेलीमेडिसिन की उपयोगिता को सरकार ने समझा. इसके बाद यह मॉडल लागू किया जा रहा है. एक हब बनाया जायेगा. इसमें सरकारी अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों को रखा जायेगा. ये तय समय पर ऑनलाइन मौजूद रहेंगे. मरीज को स्पोक में रखा जायेगा.
केंद्र में तैनात नर्स संजीवनी पोर्टल पर डॉक्टर टू डॉक्टर मॉडल का चयन करेंगी. स्पोक को नर्स तो हब को चिकित्सा पदाधिकारी लॉग इन करेंगे. इसके बाद मरीज नर्स की सहायता से अपनी बीमारी को डॉक्टर से सामने रखेंगे.
Posted by Ashish Jha