अब दस्तावेज नहीं अधिग्रहीत जमीन की वास्तविक स्थिति के अनुसार मिलेगा मुआवजे

कई परियोजनाओं में एनएचएआई द्वारा पहले से अधिग्रहीत भूमि की प्रकृति में बदलाव कर दिया गया है. इसकी वजह से लोग आक्रोशित हैं. यह बदलाव जमीन की उच्च श्रेणी से निम्न श्रेणी की ओर हुआ है.

By Ashish Jha | August 29, 2023 9:24 PM

पटना. सड़क, रेल सहित अन्य सरकारी योजनाओं के लिए अधिग्रहीत जमीन की वास्तविक स्थिति के अनुसार मुआवजा का निर्धारण होगा. ऐसा नहीं होने से जमीन मालिक मुआवजा लेने से इन्कार कर रहे हैं. साथ ही ऐसे मामले अदालतों में जाने से परियोजनाओं के निर्माण में विलंब हो रहा है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने इन विसंगतियों को भविष्य में दूर करने का निर्देश दिया है.

बैठक में दी गयी जानकारी

यह जानकारी मंगलवार को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के साथ एनएचएआई, रेलवे सहित अन्य विभागीय अधिकारियों की बैठक में सामने आयी है. इस बैठक का आयोजन पटना के शास्त्रीनगर स्थित सर्वे प्रशिक्षण संस्थान में किया गया था. बैठक में अन्य परियोजनाओं के अतिरिक्त सिर्फ एनएचएआई की 85 परियोजनाओं की समीक्षा की गई.

पहले से अधिग्रहीत भूमि की प्रकृति में हुआ बदलाव

बैठक में यह जानकारी मिली कि कई परियोजनाओं में एनएचएआई द्वारा पहले से अधिग्रहीत भूमि की प्रकृति में बदलाव कर दिया गया है. इसकी वजह से लोग आक्रोशित हैं. यह बदलाव जमीन की उच्च श्रेणी से निम्न श्रेणी की ओर हुआ है. उदाहरण के रूप में पटना-बक्सर फोरलेन के लिए वर्ष 2011-12 में अधिसूचना प्रकाशित हुई थी. किसी कारण से यह परियोजना बाद में वर्ष 2020-21 की दानापुर-बिहटा एलिवेटेड सड़क में समाहित की गई.

12 मौजों में कॉमन हैं दोनों परियोजनाएं

कुल 12 मौजों में दोनों परियोजनाएं कॉमन हैं. करीब एक दशक बाद जारी अधिसूचना में श्रीरामपुर, महादेवपुर फुलाड़ी और खेदलपुरा मौजा की पहले की प्रकृति व्यवसायिक मुख्य सड़क थी. इसे बदलकर आवासीय मुख्य सड़क कर दिया गया है. इससे मुआवजा राशि बढ़ने की जगह घट गई है. इसे लेकर लोगों में असंतोष है और उनके द्वारा मुआवजा लेने से इनकार किया जा रहा है.

बख्तियारपुर-खगड़िया एनएच परियोजना में एमवीआर में कमी

बैठक में यह सामने आया कि बख्तियारपुर-खगड़िया एनएच परियोजना में बाद के चरण में एमवीआर में कमी कर दी गई. इस वजह से बाद में अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा उसी प्लॉट में पहले अधिग्रहीत भूमि के मुआवजा से कम हो गया है. इन वजहों से भी किसान भुगतान लेने में उदासीन हैं.

अपर मुख्य सचिव ने दिया निर्देश

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने कहा कि भूमि की प्रकृति का निर्धारण सही तरीके से करने का अधिकारियों को निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि जमीन की प्रकृति का निर्धारण खतियान के मुताबिक किया जाएगा वह हकीकत से दूर होगा. लोग उसे स्वीकार नहीं करेंगे. इस प्रकार अनावश्यक विवाद होगा जिससे भू-अर्जन की प्रक्रिया में विलंब होगा.

करीब 100 साल पहले तैयार हुआ खतियान

अधिकांश जिलों में करीब 100 साल पहले खतियान तैयार हुआ. उस समय शहरी करण नहीं हुआ था. राज्य के अधिकांश हिस्से में खेती की जमीन थी. अब शहरीकरण हो रहा है. शहरों में कृषि प्रकृति में भूमि का निबंधन नहीं होता है. सिर्फ व्यवसायिक, आवासीय या विकासशील श्रेणी में जमीन का निबंधन होता है. ऐसे इलाकों में अगर कृषि प्रकृति निर्धारित करके मुआवजा दिया जाएगा तो लोगों में असंतोष होना स्वाभाविक है.

ये रहे मौजूद

बैठक में विभाग के सचिव जय सिंह, निदेशक भू-अर्जन सुशील कुमार, एनएचएआई के चीफ इंजीनियर, मोर्थ के रीजनल ऑफिसर समेत सभी जिलों के भू अर्जन पदाधिकारी सहित सभी संबंधित विभागों के पदाधिकारी उपस्थित थे.

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