पटना. राज्य में उत्पाद विभाग व बिहार मद्य निषेध की टीम ने एक नयी एसओपी तैयार की है़ जिला पुलिस, उत्पाद विभाग और मद्य निषेध की टीम संयुक्त रूप से मिल कर एक प्लान के तहत राज्य के अंदर ही शराब बनाने वाली मिनी फैक्टरी, चुलाई शराब व शराब बनाने वालों को पकड़ने की कार्रवाई करेगी़ इसके लिए सबसे पहले उन क्षेत्रों की जिओ टैगिंग की जायेगी, जिन क्षेत्रों में छापेमारी के दौरान बार-बार शराब की खेप मिल रही है़
एसपी मद्य निषेध ने बताया कि जिओ टैगिंग करने के बाद डिजिटल मैप पर उन क्षेत्रों को चिह्नित कर लिया जायेगा और भविष्य में उन क्षेत्रों पर कड़ी नजर रखी जायेगी़ किसी घटना की शंका होने पर तत्काल उन क्षेत्रों में छापेमारी हो सकेगी़ इसके अलावा शराब की तस्करी करने के मामले में पकड़े गये और पूर्व के चार्जशीटेड व्यक्तियों को भी दोबारा से पकड़ कर पूछताछ शुरू की गयी है.
उत्पाद विभाग के एक्सपर्ट बताते हैं कि राज्य के भीतर विदेशी शराब बनाने के लिए भी लगभग 80 फीसदी रॉ-मेटेरियल को राज्य के बाहर से ही मंगवाना होता है़ इसमें भी अधिकांश मात्रा में स्प्रिट की होती है़ जब-जब बाहर से आने वाले मेटेरियल पर सरकार की एजेंसियां रोक लगाने में सफल होती हैं तब-तब राज्य के शराब बनाने वाले स्प्रिट की मात्रा को मेनटेन करने के लिए अन्य हानिकारक केमिकल को मिला कर शराब में स्प्रीट की मात्रा को बैलेंस करने की कोशिश करते है़ं
इससे कई बार इथेनाॅल मिथेनॉल में बदल जाता है़ शराब बनाने के कंपाउंड में गड़बड़ी होती है. इसके अलावा देशी उत्पाद से बनने वाले मसलन महुआ, किशमिश, सड़ा हुआ चावल, गुड़ आदि से भी देशी शराब बनाने का काम किया जाता है़ इसमें समस्या यह होती है कि इसके ट्रांसपोर्टेशन को ब्रेक नहीं किया जा सकता है़
इसमें पता नहीं चलता की कौन खाने के लिए और कौन शराब बनाने के लिए उपयोग होगा़ इसके शराब में भी नशा की मात्रा बढ़ाने के लिए नशे वाली दवाइयां मिलायी जाती हैं, जो कभी-कभी काफी खतरनाक हो जाती हैं.
बीते दो-तीन वर्षों में उत्पाद विभाग की ओर से लगभग 50 हजार लीटर प्रति माह की औसत से देशी शराब पकड़ी गयी है़ इस वर्ष बीते तीन माह में लगभग एक लाख 52 हजार देशी शराब की खेप पकड़ी गयी है़ दो दिन पहले बेगूसराय में 625 कार्टन शराब पकड़ी गयी है़
Posted by Ashish Jha