कोरोना काल के दौरान बिहार में बैंकों का 3 प्रतिशत कम हो गया एनपीए, 7 लाख से अधिक मामले अब भी लंबित
राज्य में कोरोना काल की एक वर्ष की अवधि के दौरान बैंकों का एनपीए तीन फीसदी कम हो गया है. मार्च 2020 तक बैंकों का एनपीए 14.92 प्रतिशत था, जो मार्च 2021 में कम होकर 11.85 प्रतिशत हो गया.
पटना. राज्य में कोरोना काल की एक वर्ष की अवधि के दौरान बैंकों का एनपीए तीन फीसदी कम हो गया है. मार्च 2020 तक बैंकों का एनपीए 14.92 प्रतिशत था, जो मार्च 2021 में कम होकर 11.85 प्रतिशत हो गया. इसमें 3.07 प्रतिशत की कमी आयी है. मार्च 2020 की तुलना उसी वर्ष के दिसंबर से की जाये, तो यह घटकर 10.22 प्रतिशत तक पहुंच गया था. यानी 2020 के मार्च के मुकाबले दिसंबर में इसमें 4.70 प्रतिशत की कमी आयी थी, परंतु मार्च 2021 तक इसमें थोड़ी बढ़ोतरी हुई और यह 11.85 प्रतिशत पर पहुंच गया.
2019 की तुलना में मार्च 2021 में इसमें महज 0.53 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. वर्तमान में राज्य की सभी श्रेणी के बैंकों ने करीब एक लाख 73 हजार करोड़ का लोन दे रखा है, जिसमें 20 हजार 500 करोड़ रुपये एनपीए हो गये हैं. इसमें 529 करोड़ के लोन ऐसे हैं, जो पूरी तरह से डूब गये हैं. इनके लौटने की संभावना नहीं है.
एनपीए (नन-परफॉर्मिंग एसेट) बैंकों के माध्यम से दिये ऐसे लोन हैं, जिनका न तो ब्याज ही मिल रहा है और न ही मूलधन लौट रहा है. यानी ये रुपये पूरी तरह से फंस गये हैं. राज्य के बैंकों की बात करें, तो उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक का सबसे ज्यादा 29.12 प्रतिशत लोन एनपीए हो गया है.
एनपीए कम होने की यह है मुख्य वजह: कोरोना काल के दौरान एनपीए में कमी आने की मुख्य वजह 2020 में किस्त देने वालों को छह महीने का ग्रेस पीरियड दिया गया. साथ ही बैंकों ने इस अवधि में लोन कम बांटे, लेकिन इसके मुकाबले बैंकों में डिपॉजिट होता रहा. इन दो प्रमुख कारणों के अलावा बैंकों की तरफ से लोन की वसूली के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाना भी मुख्य है.
हालांकि, वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ समय बाद जब लोन की इएमआइ देने से जुड़ी रियातें सरकार देना बंद कर देगी, तो एनपीए के तेजी से बढ़ने की संभावना है. कोरोना के कारण कई व्यापारियों की व्यावसायिक गतिविधि बंद हो गयी हैं. इसका असर भी सीधा एनपीए पर पड़ेगा.
7 लाख 63 हजार मामले हैं लंबित
एनपीए हुए मामलों में वसूली के लिए बैंकों की तरफ से सात लाख 63 हजार मुकदमें दायर किये गये हैं, जो लंबित हैं और इन पर सुनवाई चल रही है. इस वर्ष अब तक करीब तीन हजार मामलों का निबटारा किया गया है. अब भी लंबित पड़े मामलों की संख्या काफी ज्यादा है.
इन मामलों के निबटारे के लिए जिला स्तर पर राज्य सरकार ने एक-एक एडीएम को नामित कर रखा है. जिला प्रशासन के स्तर पर सुनवाई के लिए दो हजार 355 मामले लंबित हैं, जिनसे 15 हजार करोड़ के मामले जुड़े हुए हैं. इनमें सबसे ज्यादा पश्चिमी चंपारण में एक हजार 11, गोपालगंज में 736, पटना में 60 मामले लंबित हैं.
Posted by Ashish Jha