सुबोध कुमार नंदन, पटना. उत्तर और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक में इंटरनेट बैंकिंग सुविधा अब तक लागू नहीं होने से वे सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के बैंकों से प्रतिस्पर्धात्मक कारोबार हासिल करने से पिछड़ रहे हैं. इसके कारण राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखाओं से ज्यादा ग्रामीण बैंक की शाखाएं होने पर भी इनके कारोबार क्षेत्र में अपेक्षाकृत वृद्धि नहीं हो रही है. ग्रामीण अंचलों में भी इंटरनेट बैंकिंग की मांग बढ़ने से ग्रामीण बैंक के ग्राहक अपना खाता बंद कर दूसरे बैंक में खाता खोल रहे थे.
इसे देखते हुए रिजर्व बैंक ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में इंटरनेट बैकिंग सुविधा देने के लिए मापदंड को शिथिल किया है. फिर भी दोनों ग्रामीण बैंक पुनर्निर्धारित मापदंड भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि पिछले वित्तीय वर्ष में दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का एनपीए 44.77 फीसदी और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक का एनपीए 13.80 फीसदी था और इंटरनेट सेवा लागू करने के लिए एनपीए की न्यूनतम सीमा पांच फीसदी निर्धारित है.
उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के महाप्रबंधक महेंद्र कुमार कहते हैं कि रिजर्व बैंक के आदेश का हो रहा इंतजार रिजर्व बैंक ने इंटरनेट बैंकिंग को लेकर बैंक को पत्र लिखा था, बैंक की ओर से पत्र का जवाब भेज दिया गया है. वित्त मंत्रालय का भी ग्रामीण बैंकों में इंटरनेट बैंकिंग सेवा शुरू करने का दबाव है. रिजर्व बैंक से आदेश मिलने के बाद जल्द-से-जल्द इंटरनेट बैंकिंग शुरू कर दी जायेगी.
वहीं दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के महाप्रबंधक नीरज कुमार का कहना है कि प्रावधान में छूट मिले तो बैंक तैयार फिलवक्त बैंक रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित मापदंड को पूरा नहीं कर पा रहा है. इसके कारण बैंक की ओर से इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा अपने खाताधारक को नहीं दे पा रहे हैं. अगर प्रावधान में कुछ छूट देता है, तो बैंक इंटरनेट बैंकिंग सेवा शुरू करने के लिए हम पूरी तरह तैयार है.
इधर, ज्वाइंट फोरम ऑफ ग्रामीण बैंक यूनियंस के संयोजक डीएन त्रिवेदी का दावा है कि हर हाल में इंटरनेट बैंकिंग करनी होगी ग्रामीण बैंक को बैंकिंग कारोबार में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और निजी क्षेत्र के बैंकों के बीच प्रतिस्पर्धात्मक होड़ के बीच सरवाइव करने के लिए हर हाल में इंटरनेट बैंकिंग सेवा शुरू करनी होगी. अन्यथा , ग्रामीण बैंकों का उनके प्रायोजक बैंक में विलय एकमात्र विकल्प होगा.