कोरोना की दूसरी लहर में एक तरफ जहां पूरा देश संकट से जूझ रहा था वहीं देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादन महारत्न कंपनी एनटीपीसी भी एक मुश्किल दौर से गुजर रहा था. ऐसे कठिन समय में बिजली की मूलभूत जरूरत को पूरा करते हुए कंपनी ने न सिर्फ अपने सकारात्मक प्रयासों से 2000 से अधिक जिंदगी बचाई बल्कि राज्यों व देश को भी इस लड़ाई में भरपूर सहयोग किया.
चूंकि बिजली का उत्पादन जरूरी था इसलिए एनटीपीसी के हजारों कर्मी दिन-रात अपने काम में जुटे रहे और इस क्रम में जब वे कोरोना की चपेट में आए तो कंपनी ने इन्हें ‘5 टी’ रणनीति-टेस्ट, ट्रैक, ट्रेस, ट्रीट और टेक्नोलोजी के तहत न सिर्फ बेहतर उपचार मुहैया कराया बल्कि उनकी हरसंभव मदद भी की.
यही नहीं अपने बेहतर एक्शन प्लान की वजह से आज एनटीपीसी ने अपने कर्मचारियों के लिए करीब-करीब शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन का लक्ष्य हासिल कर एक मिसाल भी कायम की है. इस काम में एनटीपीसी पूर्वी क्षेत्र -1 के क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक, श्री प्रवीण सक्सेना ने आगे बढ़कर हर कदम पर सभी नौ परियोजनाओं को इस दिशा में युद्धस्तर पर लगातार प्रयास करने हेतु प्रेरित किया.
पूर्वी क्षेत्र-1 की सभी परियोजनाओं में टीकाकरण युद्धस्तर पर जारी
21000 से भी अधिक कर्मियों का हुआ टीकाकरण
पूर्वी क्षेत्र-1 के एनटीपीसीकर्मियों का हुआ 100 फीसदी टीकाकरण
एनटीपीसी ने अपनी सकारात्मक पहल से देश भर की अपनी परियोजनाओं में बचाईं 2000 से अधिक जानें
100% टीकाकरण होने से पावर प्लांट हुआ सुरक्षित,
अब नहीं होगी विद्युत उत्पादन में कोई कमी
एनटीपीसी पूर्वी क्षेत्र के अधिकारिक प्रवक्ता, विश्वनाथ चंदन बताते हैं कि इस दौरान हमने चौबीस घंटे काम करने वाली टास्क फोर्स व हेल्पलाइन का गठन किया ताकि किसी को भी कभी भी मदद तत्काल पहुंचाई जा सके. इसमें सभी अधिकारी शिफ्ट व रोटेशन में संक्रमित व्यक्तियों के लिए आवश्यक दवाइयों और उपचार का प्रबंध करने के लिए कार्यरत रहे .
क्योंकि एनटीपीसी पूर्वी क्षेत्र-1 के अधिकांश संयंत्र दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित हैं, इसलिए किसी गंभीर मामले के सामने आने पर पटना, रांची और कोलकाता के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में ऑक्सीजन और आईसीयू सपोर्ट वाले बेड का तत्काल प्रबंध भी इन कर्मियों द्वारा किया जाता रहा है. कई बार इन अस्पतालों में रोगियों की लंबी कतार भी होती है, लेकिन टास्क फोर्स के सभी कर्मी प्रतिबद्धता से अनेक अस्पतालों से संपर्क करते रहते हैं.
एनटीपीसी न केवल मदद के लिए हाथ बढ़ाने में अपने सभी संसाधनों का उपयोग कर रहा है, बल्कि इसके लिए टेलीमेडिसिन उपचार जैसे नए उन्नत प्रयासों को भी प्राथमिकता दे रहा है. एनटीपीसी का शीर्ष प्रबंधन नियमित रूप से स्थिति का जायजा ले रहा है और एनटीपीसी के कर्मचारियों और उनके परिवार के लिए राहत उपायों को त्वरित गति से लागू कर रहा है.
कोरोना के गंभीर मरीजों को प्लांट के अस्पताल से सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में एयरलिफ्ट करने का निर्णय, एनटीपीसी के शीर्ष प्रबंधन की विशेष पहल का हिस्सा है. इसके माध्यम से क्षेत्रीय टास्क फोर्स एयरलिफ्टिंग की व्यवस्था करते हुए जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता , मरीज की अनवरत निगरानी, संबन्धित कर्मचारी के कार्यस्थल से दूर उनके परिचारकों व परिजनों की देखभाल के साथ-साथ उनकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करता रहा है.
बाढ़ परियोजना में पिछले साल स्थापित कोविड केंद्र में संक्रमितों की पहचान करने के लिए यहाँ ट्रू-नैट, एंटीजन और आरटीपीसीआर जांच को युद्धस्तर पर किया गया और मरीजों को उनके लक्षण के मुताबिक आवश्यक उपचार दिया गया.
साथ ही कोरोना के संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए पूर्वी क्षेत्र की सभी 9 परियोजनाओं में टीकाकरण अभियान पर खासा जोर दिया गया. परिणामस्वरूप एनटीपीसी पूर्वी क्षेत्र -1 के लगभग सभी 4000 कर्मचारियों और उनके परिवारजनों को वैक्सीन लगवाई जा चुकी है वर्तमान में संविदाकर्मियों और कामगारों के लिए भी टीकाकरण के साथ -साथ टीकाकरण हेतु जागरूकता अभियान ज़ोरों पर है.
वहीं अपने एसोसिएट्स को इसका हिस्सा बनाते हुए सीआईएसएफ़,आईसीएच और प्लांट में कार्यरत संविदा श्रमिकों के लिए भी एनटीपीसी के डेडिकेटेड अस्पताल वैक्सीनेशन अभियान चला रहे हैं. अकेले पूर्वी क्षेत्र की सभी 9 परियोजना में ही 21000 से अधिक कर्मियों-जिसमे एनटीपीसी कर्मचारी,उनके परिजन के साथ-साथ सभी सहयोगी एजेन्सियों के कर्मी शामिल हैं,को वैक्सीन की पहली डोज़ लगाई जा चुकी है.
Posted by: Pritish Sahay