International Tiger Day 2023: 1975 में पहली बार पटना के चिड़ियाघर में आए थे बाघ, जानिए अब कितने टाइगर

International Tiger Day 2023: 153 एकड़ में फैले पटना जू में पहली बार 1975 में दिल्ली के चिड़ियाघर से बाघ लाया गया था. वहीं वर्तमान में पटना जू में चार व्यस्क संगीता, नकुल, बाघी, भवानी और तीन शावक केसरी, विक्रम और रानी है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 29, 2023 5:32 AM

International Tiger Day 2023: आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस है. राजधानी पटना में शुक्रवार को इसे लेकर शहर के विभिन्न स्कूलों में फेस पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. मौके पर कई स्टूडेंट्स ने इसमें भाग लिया और लोगों को इसके प्रति जागरूक किया. पटना जू में बाघों के इतिहास के बारे में बात करें, तो इसकी शुरुआत साल 1975 से हुई, जब दिल्ली चिड़ियाघर से मोती नामक एक नर बाघ लाया गया था. साल 1980 में असम सरकार की ओर से दो मादा बाघिन ‘बल्बो रानी’ और ‘फौजा’ दिये गये थे. इसके बाद साल 1983 में बाघों का प्रजनन शुरू हुआ. पहली बार एक जनवरी 1983 को बल्बो रानी ने एक मादा बच्चे को जन्म दिया था. वहीं वर्तमान में पटना जू में चार व्यस्क संगीता, नकुल, बाघी, भवानी और तीन शावक केसरी, विक्रम और रानी है.

1975 में दिल्ली जू से लाया गया पहला नर बाघ मोती

संजय गांधी जैविक उद्यान की स्थापना राज्य सरकार ने 1973 में किया था. 153 एकड़ क्षेत्रफल में फैले उद्यान के लिए बिहार के तत्कालीन राज्यपाल नित्यानंद कानूनगो ने उद्यान क स्थापना के लिए वन विभाग को 34 एकड़ भूमि प्रदान की थी. पटना जू में बाघों का इतिहास काफी पुराना रहा है. पटना जू में सबसे पहला बाघ 1975 में दिल्ली के चिड़ियाघर से लाया गया था. दिल्ली से लाया पहला नर बाघ का मोती था. इसके बाद वर्ष 1980 में असम सरकार की ओर से दो मादा बाघिन बल्बो रानी और फौजी पटना जू को सौंपा गया. इसके बाद 1983 में बाघों का प्रजनन पटना जू में शुरू हुआ. पहली बार पटना जू में 1983 में मादा बाघिन बल्बो रानी एक मादा शावक को जन्म दिया था. बाघों के वंशवृद्धि में सुधार के लिए शिवपुर, हैदराबाद तथा तिरूपति चिड़ियाघर से भी बाघ मंगाये गये थे. इसके अलावा पटना जू से भी रांची के चिड़ियाघर में बाघों को भेजा गया था. वर्ष 2019 में पटना जू में बाघ की एक जोड़ा नकुल और संगीता को चेन्नई चिड़ियाघर से लाया गया था.

पटना जू में अब बचे हैं सात बाघ

पटना जू में फिलहाल सात बाघ बचे हैं. इनमें चार मादा और तीन नर बाघ शामिल हैं. पिछले वर्ष बाघिन संगीता ने चार शावकों को जन्म दिया था. बाघिन संगीता ने 25 मई 2022 को तीन नर व एक मादा शावक को जन्म दिया था. लेकिन फरवरी 2023 में इनमें से एक शावक मगध का संक्रमण की वजह से मृत्यु हो गयी थी. फिलहाल पटना जू चार मादा बाघ भवानी, बाघी, संगीता और रानी का दीदार लोग कर सकते हैं. इसके अलावा तीन नर बाघ नकुल, केशरी और विक्रम भी लोगों के आकर्षक का केंद्र बना हुआ है. इस साल दो बाघ राजगीर के जू सफारी में भेजा गया है. बाघों के वंशवृद्धि में सुधार के लिए अन्य चिड़ियाघरों से जैसे शिवपुर, हैदराबाद और तिरुपति चिड़ियाघरों से बाघ मंगाएं भी गये हैं.

बाघ की आंखें देखकर ही उसके मूड का लग जाता है अंदाजा

पटना जू में रहने वाले बाघों की देख-भाल और उन्हें खाना खिलाने वाले पशुपालक महेश झा बताते हैं कि जानवर प्यार और दुलार की भाषा को समझते हैं. पिछले आठ वर्षों से बाघ के बाड़े की देख-भाल करने वाले पशुपालक महेश बताते हैं कि इंसानों की तरह जानवर का स्वभाव भी बदलता है. उन्होंने बताया कि बाघों के साथ रहते हुए अब बाघों की आंखों को देखकर ही उसके मूड का अंदाजा लग जाता है. बाघ की आंखों से ही उसकी खुशी और गुस्से के बारे में पता चल जाता है. महेश ने बताया कि प्रतिदिन सुबह आठ बजे बाघ को इंक्लोजर से बाहर के केज में भेजने का काम वही करत हैं. इसके साथ ही शाम में उसे खाना देने और इंक्लोजर में बंद करने की भी जिम्मेदारी उन्हीं की है. महेश बताते हैं कि बाघों को नाम से बुलाने से वह इंक्लोजर में चले आते हैं. लेकिन कोई दूसरा पशुपालक उसे इंक्लोजर में बुलाने की कोशिश करता है उन्हें काफी परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि बाघ पहचान में वक्त लगाता है लेकिन एक बार उसे पहचान हो जाती है तो वह इशारे भी समझने लगता है.

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ऐसे बढ़ती गयी पटना में बाघों की दहाड़

  • 1975 : पहली बार दिल्ली चिड़ियाघर से पटना जू लाया गया था नर बाघ मोती

  • 1980 : असम से दो मादा बाघिन बल्बो रानी और फौजा आयी थी पटना जू

  • 1983 : पहली बार पटना जू में शुरू हुआ था बाघों का प्रजनन

  • 1983 : ‘बल्बो रानी’ ने एक मादा मादा शावक को जन्म दिया था

  • 1984 : के बाद बाघों के वंशवृद्धि में सुधार के लिए शिवपुर, हैदराबाद व तिरुपति जू से भी बाघ आये थे

  • 2019 : पटना जू में बाघ के एक जोड़े (नकुल और संगीता) को चेन्नई चिड़ियाघर से लाया गया था

  • 2019 : तमिलनाडु के अरिगनर अन्ना जूलॉजिकल पार्क वंडालूर से पटना लाया गया था संगीता को

  • 25 मई 2022 : बाघिन संगीता ने तीन नर और एक मादा शावक को जन्म दिया था

  • 28 जुलाई 2023 : तक राजधानी पटना के जू में चाय व्यस्क और तीन शावक बाघ हैं

  • 153 एकड़ में फैला है राजधानी पटना का संजय गांधी जैविक उद्यान

  • 2022 की गणना के अनुसार भारत में बाघों की कुल संख्या 3,167 है

  • 1973 में शुरू हुए ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की वजह से बढ़ी बाघों की संख्या

  • 1973 में जिस समय यह परियोजना शुरू हुई, उस वक्त बाघों की संख्या महज 268 थी

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