नीतीश कुमार ने सेट कर दिया लोकसभा चुनाव 2024 का एजेंडा? जदयू के राष्ट्रीय सचिव का जानिए दावा..

लोकसभा चुनाव का एजेंडा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सेट कर दिया है. ऐसा दावा है जदयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन प्रसाद का. उन्होंने बिहार के कुछ प्रमुख और ज्वलंत मुद्दों का जिक्र करते हुए ये दावा किया है. जानिए..

By ThakurShaktilochan Sandilya | November 27, 2023 1:47 PM
an image

आगामी लोकसभा चुनाव 2023 को लेकर सभी सियासी दलों ने अपनी तैयारी तेज कर दी है. बिहार में भी अब चुनाव को लेकर तापमान चढ़ने लगा है. इस बार लोकसभा चुनाव में बिहार का समीकरण बदला रहेगा. जदयू और भाजपा पिछली बार की तरह एकसाथ एनडीए का हिस्सा बनकर मैदान में नहीं उतरेगी. बल्कि अब जब जदयू ने खुद को एनडीए से अलग कर लिया है और राजद के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार नीतीश कुमार ने बनायी है तो भाजपा विपक्षी खेमा बन चुका है. बिहार में इन दिनों सियासी पारा हाई है. भाजपा और महागठबंधन के दलों के बीच घमासान चल रहा है. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए नीतीश कुमार की पहल पर इंडिया गठबंधन तैयार हुआ है और कई दलें इसका हिस्सा बनी हैं. वहीं अब जदयू के एक कद्दावर नेता का बयान आया है कि नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव का एजेंडा तय कर दिया है.

नीतीश कुमार ने सेट कर दिया है एजेंडा?

लोकसभा चुनाव 2024 का एजेंडा क्या होगा? इसे लेकर अभी किसी भी सियासी दल की ओर से कोई पत्ता नहीं खोला गया है. भाजपा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में फिर एकबार चुनावी मैदान में उतरेगी. नरेंद्र मोदी सरकार को जीत की हैट्रिक लगवाने के लिए बीजेपी क्या एजेंडा सेट करेगी ये देखना बाकि है. इधर बिहार में लोकसभा की 40 सीटों पर घमासान होना है. राजद और जदयू इसबार एकसाथ है. भाजपा यहां एनडीए के अन्य घटक दलों के साथ इनका सामना करेगी. इन दिनों बिहार में एक नहीं बल्कि कई ऐसे मुद्दे उछले हैं जिसने सियासत को प्रभावित किया है. वहीं असम के नौगांव में जदयू प्रतिनिधि सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए जदयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन प्रसाद ने रविवार को कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2024 लोकसभा चुनाव का एजेंडा तय कर दिया है. इसमें जाति आधारित सर्वे और 75 फीसदी आरक्षण का निर्णय शामिल है. उन्हाेंने कहा कि सभी वर्गों के न्यायपूर्ण विकास के साथ ही बिहार के विकास का अद्भुत मॉडल पूरे देश में अनुकरणीय है. आधारभूत संरचना,ऊर्जा एवं रोजगार के क्षेत्र में बिहार ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है. जदयू के राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि पूरे असम में सांगठनिक विस्तार की प्रक्रिया चल रही है. इसका लाभ पार्टी को असम में मिलेगा.

Also Read: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया, जानिए नीतीश सरकार की मांग के आधार..

आरक्षण बनेगा मुद्दा? 

गौरतलब है कि बिहार में नीतीश सरकार की ओर से हाल में ही जातीय सर्वे कराया गया है. इस सर्वे को बिहार सरकार ने अपनी खर्च पर कराया. सर्वे की रिपोर्ट को सरकार ने विधानमंडल में पेश किया और हर वर्ग की वर्तमान स्थिति को सामने लाया. जातीय सर्वे के आंकड़ों को आधार बनाते हुए सरकार ने आरक्षण के दायरे को भी बढ़ाया है. बिहार में पहले 60 प्रतिशत आरक्षण था. जिसका दायरा बढ़ाते हुए इसे 75 प्रतिशत अब कर दिया गया है. जातीय सर्वे और आरक्षण ये दो ताजा मुद्दे सामने रखकर जदयू लगातार इन दिनाें भाजपा पर हमलावर है. एकतरफ जहां जातीय सर्वे का श्रेय नीतीश सरकार को दिया जा रहा है तो वहीं आरक्षण के दायरे को बढ़ाने के लिए नीतीश सरकार के फैसले पर सियासी गर्मी बढ़ी है. बताते चलें कि बिहार ने जातीय सर्वे कराया तो इसकी गूंज दिल्ली तक पहुंची. पूरे देश में जातीय गणना को लेकर चर्चा छिड़ गयी. कांग्रेस ने भी पिछले दिनों 5 राज्यों में हुए चुनाव के प्रचार के दौरान इसे कराने का दावा किया.

विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग तेज की है. बिहार सरकार की ओर से यह मांग की जा रही है. केंद्र को इसे लेकर प्रस्ताव भी भेजा गया. हाल में ही बिहार में हुए जातीय सर्वे के आंकड़े और प्रदेश में गरीबी को आधार बनाकर इसके उन्मूलन के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग को जरूरी बताया गया. जदयू ने रविवार को पटना में भीम संसद के जरिए भाजपा पर निशाना साधा. इन तमाम मुद्दों को लेकर भाजपा को घेरने की लगातार कोशिश की गयी है.

Exit mobile version