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पटना एम्स में न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग का हुआ उद्घाटन,थायरॉइड क्लीनिक का हुआ शुभारंभ

न्यूक्लियर मेडिसिन के जरिये कोशिकाओं की फिजियोलॉजी और बायोलॉजी में आ रहे परिवर्तन के आधार पर चिकित्सा की जाती है. इस तकनीक के जरिये सुरक्षित और दर्दरहित चिकित्सा की जाती है. यह कम खर्चीला होता है.

पटना. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पटना में ‘न्यूक्लियर मेडिसिन डिपार्टमेंट’ यानी नाभिकीय चिकित्सा विभाग का उद्‌घाटन शुक्रवार को निदेशक प्रो. (डॉ) प्रभात कुमार सिंह ने किया. न्यूक्लियर मेडिसिन के जरिये कोशिकाओं की फिजियोलॉजी और बायोलॉजी में आ रहे परिवर्तन के आधार पर चिकित्सा की जाती है. इस तकनीक के जरिये सुरक्षित और दर्दरहित चिकित्सा की जाती है. यह कम खर्चीला होता है.

न्यूक्लियर मेडिसिन का उपयोग बोन स्कैन, गैलियम स्कैन, फेफड़े की स्कैनिंग, हेपेटोबिलरी स्कैन वृक्क स्कैन के साथ-साथ थायराइड स्कैन के लिए किया जाता है. मालूम हो कि भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) से प्रशिक्षित तथा विकिरण चिकित्सा केंद्र (आरएमसी), टाटा मेमोरियल अस्पताल और मुंबई के प्रतिष्ठित जसलोक हॉस्पिटल और एंड रिसर्च सेंटर में कन्सल्टेंट के रूप में सेवा दे चुके डॉ पैकज कुमार की नियुक्ति हाल ही में पटना एम्स के नाभिकीय चिकित्सा विभाग में सहायक प्राध्यापक (प्रथम संकाय) और विभागाध्यक्ष के पद पर हुई है.

निदेशक प्रो (डॉ) प्रभात कुमार सिंह ने विभाग से मरीजों को मिलनेवाली सुविधाओं का जिक्र करते हुए बताया कि प्रदेश के मरीजों को अब दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा. अब उन्हें वो सारी सुविधाएं एम्स पटना में मिलेगी. साथ ही कहा कि जल्द ही स्पेक्ट सीटी (गामा कैमरे) से होनेवाले स्कैन की सुविधा भी मरीजों को मिलने लगेगी. पैट सीटी मशीन का ऑर्डर हो चुका है, जो जल्द ही लगनेवाला है.

विभागाध्यक्ष डॉ पंकज कुमार ने बताया कि जल्द ही एम्स पटना में गामा कैमरे द्वारा स्कैन के साथ, थायरॉइड कैंसर के लो रिस्क ग्रुप के मरीजों को ओपीडी में रेडियो आयोडीन की सुविधा मिलने लगेगी. पैट सीटी मशीन के आने पर कैंसर जांच परीक्षण, स्टेजिंग, मेटास्टैटिक वर्कअप और शरीर में संक्रमण के केंद्र का पता लगाने में सहायता मिलेगी. इससे कीमोथेरैपी या रेडियोथेरैपी से उपचार के आकलन में मदद मिलेगी.

इस मौके पर थायराइड क्लिनिक (न्यूक्लियर मेडिसिन) का उद्घाटन निर्देशक प्रो (डॉ) प्रभात कुमार सिंह द्वारा किया गया. इस क्लिनिक में थायराइड डिसऑर्डर और थायरॉइड कैंसर के वैसे मरीज, जिनका ऑपरेशन हो चुका हो, उनका रेडियो आयोडीन चिकित्सा परामर्श के साथ थायरॉइड हार्मोन सप्रेसन थेरेपी और रिप्लेसमेंट थेरेपी की जायेगी. इससे अब बिहार के मरीजों को दूसरे प्रदेशों में नहीं जाना पड़ेगा.

मेटास्टैटिक न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर और प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को रेडियोसक्रिय दवाओं द्वारा किये जानेवाले स्कैन और रेडियोसक्रिय पदार्थों द्वारा चिकित्सा के लिए परामर्श मिल सकेगा. हालांकि, अभी इन बीमारियों के लिए रेडियोसक्रिय दवा (लूटेशियम/एक्टीजियम) की सुविधा एम्स में शुरू नहीं हुई हैं.

इस मौके पर प्रो (डॉ) प्रेम कुमार, डीन प्रो उमेश अधानी, अधीक्षक प्रो सीएम सिंह, डॉ संजीव कुमार एवं एम्स के अन्य गणमान्य फैकल्टी के साथ-साथ विभाग के टेक्नोलोजिस्ट मनीष कुमार मौजूद रहे.

Posted by Ashish Jha

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