बिहार में सबसे बड़ा दल बनने की होड़, छोटे दलों के टूटने के बाद कांग्रेस में गहराया टूट का खतरा

Bihar political News : बिहार में सभी मुख्य राजनीतिक पार्टियां सबसे बड़ी पार्टी बनने की होड़ लगा रही है. नंबर गेम जुटाने में फिलहाल राजद 80 विधायकों के साथ सबसे टॉप पर है, तो भाजपा 77 विधायकों के साथ नंबर दो पर हैं. मुख्य दलों की महात्वाकांक्षा से छोटे दल में लगातार टूट हो रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 1, 2022 4:50 PM

पटना. बिहार में सभी मुख्य राजनीतिक पार्टियां सबसे बड़ी पार्टी बनने की होड़ लगा रही है. नंबर गेम जुटाने में फिलहाल राजद 80 विधायकों के साथ सबसे टॉप पर है तो,भाजपा 77 विधायकों के साथ नंबर दो पर हैं. मुख्य दलों की महात्वाकांक्षा से छोटे दल में लगातार टूट हो रही है. बीते मई माह में मुकेश सहनी की विकासशील इन्सान पार्टी (वीआईपी) के सभी तीन विधायक ने पाला बदलते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था, वहीं 30 जून को समाप्त हुए मॉनसून सत्र में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के बिहार में पांच में से चार विधायक ने राजद में खुद को विलय कर लिया. दलों की टूट से बिहार में कांग्रेस पार्टी में टूट का खतरा मडराने लगा है. बिहार कांग्रेस के विधायकों के टूटने का दावा भाजपा ने किया है.

प्रदेश भाजपा का दावा-बिहार कांग्रेस में होगी टूट

प्रदेश भाजपा ने दावा किया है कि महाराष्ट्र में शिव सैनिकों में जैसी टूट हुई वैसे ही बिहार कांग्रेस में आने वाले दिनों में टूट देखी जायेगी. बिहार कांग्रेस के विधायक भी टूटने के लिए तैयार हैं. सोनिया गांधी के गिरते स्वास्थ्य और राहुल गांधी के अक्षमता के कारण तमाम विधायक को भी अपने करियर की चिंता है. परिवारवाद के खिलाफ अब कांग्रेस विधायक तैयार हो रहे हैं. भाजपा के दावे को कांग्रेस ने दिन में सपने देखने वाली बात बताया है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि भाजपा का काम पैसे के बल पर सभी दलों को तोड़ना है पर कांग्रेस पृरी तरह मजबूत है और तमाम विधायक एकजुट हैं. पिछले कई सालों से यही बात सुनने को मिलती है पर कांग्रेस को तोड़ने की ताकत किसी में नहीं. कांग्रेस लगातार मजबूत हो रही है.

कांग्रेस के अधिकतर विधायक जदयू के संपर्क में

कांग्रेस विधायक अपने स्थानीय परिस्थितियों के मुताबिक गहन सोच-विचार कर रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के 10-12 विधायक जदयू के संपर्क में हैं. हालांकि जदयू वेट एंड वॉच की स्थिति में है. अंदर खाने से जो खबर छन कर बाहर आ रही है उसके मुताबिक कांग्रेस के कई विधायक अगले चुनाव में अपने-अपने क्षेत्रों के सामाजिक समीकरण को देखते हुए पाला बदलने की तैयारी में हैं. राजद से अलगाव और दूरी बनने के बाद तमाम विधायकों की नजर भाजपा की तरफ भी है. फिलहाल कांग्रेस पार्टी के बिहार में 19 विधायक हैं. बता दें कि दल-बदल कानून के तहत टूट के लिए लगभग 13 विधायक साथ होने चाहिए. जाहिर है यह किसी भी तरह आसान काम तो नहीं है.

बीते साल से ही बिहार में चल रहा पाला बदलने का खेल

उल्लेखनीय है कि बीते वर्षों में बिहार की सियासत में जिस तरह से पाला बदलने और छोटे दलों के बड़े दलों में विलय की घटनाएं देखी जा रही हैं, उसमें कुछ भी असंभव नहीं. विधानसभा चुनाव के समय बसपा का जदयू में विलय हुआ था. इसके बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी रालोसपा को जदयू में विलय कर लिया. बिहार में बड़ा उलटफेर करते हुए लोजपा में बड़ी टूट हुई और एकमात्र विधायक जदयू के साथ चले गए.

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