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बिहार में तेजी से बढ़ रहा एचआईवी मरीजों की संख्या, मधुबनी में आठ साल में संख्या हुई दोगुनी

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बीते आठ सालों मे जिला का आंकड़ा दो गुणा तक बढ़ॉ गया है. सदर अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार मार्च 2015 में जहां एआरटी सेंटर में दवा लेने वाले मरीजों की संख्या 2298 थी. जो दिसंबर 2023 में बढ़कर 5008 हो गई.

मधुबनी. जिला में एचआईवी पॉजीटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. तेजी से बढ रहे मरीजों की संख्या से स्वास्थ्य महकमा सकते में है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बीते आठ सालों मे जिला का आंकड़ा दो गुणा तक बढ़ॉ गया है. सदर अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार मार्च 2015 में जहां एआरटी सेंटर में दवा लेने वाले मरीजों की संख्या 2298 थी. जो दिसंबर 2023 में बढ़कर 5008 हो गई. एआरटी सेंटर में अब तक 8111 एचआईवी संक्रमित पंजीकृत है. जिसमें पुरुष मरीजों की संख्या 4165, महिला 3337, पुरुष चाइल्ड 383 एवं फीमेल चाइल्ड 223 है. जबकि ट्रांसजेंडर 3 मरीज शामिल है. इसमें 5008 मरीजों को एआरटी सेंटर से दवा दी जा रही है. इसमें दवा लेने वाले में 2154 पुरुष, 2410 महिला, 276 मेल चाइल्ड एवं 163 फीमेल चाइल्ड शामिल हैं.

बेनीपट्टी में सबसे अधिक मरीज

अस्पताल सूत्रों के अनुसार जिले के पांच प्रखंडों में एचआईवी मरीजों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है. इसमे सबसे अधिक बेनीपट्टी में 1000, फुलपरास में 500, झंझारपुर में 600, हरलाखी में 350, बाबूबरही में 350 मरीज हैं. यानि कि कुल मरीजों की संख्या का पचास फीसदी मरीज उक्त पांच प्रखंडों में हैं.

2011 में हुई थी एटीआर सेंटर की स्थापना

सदर अस्पताल स्थित एआरटी सेंटर की स्थापना वर्ष 2011 में की गई. उद्देश्य था एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की स्क्रीनिंग, नि: शुल्क दवा के साथ लोगों को इस भयावह बीमारी के प्रति जागरूक करना. एआरटी सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार बीते आठ वर्ष में एचआईवी पॉजिटिव दवा लेने वाले मरीजों की संख्या में में दोगुनी हो गयी है.

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असुरक्षित यौन संबंधों की जानकारी रखेगा सुरक्षित

सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा कि खासकर युवा वर्गों में एड्स जैसी बीमारी फैलने का मुख्य कारण यौन शिक्षा का नहीं होना है. एचआईवी असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सूई का प्रयोग व संक्रमित रक्त के प्रयोग के कारण होता है. एचआइवी संक्रमण से रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है. इसके साथ ही एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं के नवजात शिशुओं में भी एचआइवी संक्रमण बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है. एड्स जन्मजात शिशुओं के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पूरी तरह खत्म कर देता है. जिससे एचआईवी पीड़ित अन्य घातक बीमारियों टीबी, कैंसर व अन्य संक्रामक बीमारियों से प्रभावित हो जाता है. इस संबंध में एड्स पीड़ित महिला या पुरुषों को पहले सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों से चिकित्सीय सलाह लेना चाहिए.

सरकार दे रही पीड़ितों को आर्थिक सहायता

एड्स पीड़ित मरीजों को सरकार द्वारा बिहार शताब्दी एड्स पीड़ित योजना के तहत संक्रमित मरीजों को प्रतिमाह 1500 रुपए आर्थिक सहायता दी जाती है. इस योजना के तहत 18 वर्ष से अधिक उम्र के 3700 मरीजों को आर्थिक सहायता दी जा रही है. इसके अलावा 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के वैसे बच्चों जिनके माता-पिता एड्स पीड़ित हैं या उनकी मृत्यु हो गई है तो समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित परवरिश योजना के तहत प्रतिमाह 1000 रुपए आर्थिक सहायता दी जाती है. इस योजना के तहत जिले में 397 बच्चों सहायता दी जा रही है.सरकार द्वारा मरीजों का आर्थिक एवं मानसिक बोझ कम करने के लिए एआरटी सेंटर द्वारा अब तीन महीने की दवा एक बार ही दी जाती है.

लोगों को किया गया जागरूक

विश्व एड्स दिवस के अवसर पर शुक्रवार को सदर अस्पताल स्थित एआरटी सेंटर द्वारा एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए एएनएम स्कूल की छात्राओं ने रैली निकाली. रैली सदर अस्पताल परिसर से होते हुए वाटसन उच्च विद्यालय परिसर, थाना चौक, बिजली आफिस होते हुए सदर अस्पताल में पहुंचकर खत्म हुआ. रैली को सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया, प्रभारी अधीक्षक डॉ. राजीव रंजन व एड्स के नोडल पदाधिकारी डॉ. विनय कुमार ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया.

जागरुकता का अभाव ही एचआईवी के प्रसार का मुख्य कारण

इस अवसर पर सिविल सर्जन ने कहा कि जागरूकता का अभाव ही एचआईवी के प्रसार का मुख्य कारण है. आमलोगों को इसके खतरे के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. दुनियाभर में लाखों लोग ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस के कारण होने वाली बीमारी एचआईवी से संक्रमित हैं. गौरतलब हो कि संक्रमित व्यक्ति का खून या फिर असुरक्षित यौन संबंध के कारण किसी दूसरे स्वस्थ व्यक्ति के संपर्क में आता है तो वह इस रोग से संक्रमित हो जाता है. इस अवसर पर एड्स के नोडल पदाधिकारी डॉ. विनय कुमार, सचिन कुमार पासवान, डाटा मैनेजर अजीत कुमार एवं एएनएम स्कूल की छात्रा उपस्थित थी.

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