Loading election data...

ओडिशा रेल हादसा: इमरजेंसी विंडो तोड़कर निकला मधुबनी का पप्पू, दुबारा जाकर चार साथियों को भी बचाया

ओडिशा रेल हादसे में अभी तक 288 लोगों के मौत की पुष्टि हुई है. जबकि 747 लोगों के घायल होने की सूचना है. इस हादसे में 56 घायलों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. इस हादसे में मधुबनी के पांच मजदूर जिंदा बच गए हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 4, 2023 7:01 AM
an image

ओडिशा रेल हादसे में अभी तक 288 लोगों के मौत की पुष्टि हुई है. जबकि 747 लोगों के घायल होने की सूचना है. इस हादसे में 56 घायलों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. इस हादसे में मधुबनी के पांच मजदूर जिंदा बच गए हैं. हादसे में बाल-बाल बच जाने के बावजूद पप्पू उस मंजर को याद कर सहम जाता है. हादसे के घंटों बीत जाने के बाद भी वह मंजर उसकी आंखों के सामने से नहीं हट रहा. जैसे ही इसके बारे में चर्चा हुई, वह फफक-फफक कर रो पड़ा. मौत के मुंह से खुद बाहर निकल आने की खुशी उसे सुकून नहीं दे पा रही. उसकी आंखों के सामने क्षत-विक्षत पड़ी लाशों का मंजर नाच उठता है. इस हादसे ने उसे जीवन और मौत के बीच के फासले का एहसास करा सहमा दिया. उड़ीसा में हुए भीषण रेल हादसे में अलीनगर के पांच मजदूर को मौत छूकर गुजर गयी.

मजदूरी करने जा रहे थे चेन्नई

घटना के संबंध में मोबाइल से संपर्क करने पर श्यामपुर के पप्पू कुमार यादव ने फफक-फफक कर रोना शुरू कर दिया. वो मजदूरी के लिए चेन्नई जा रहे थे. बताया कि ईश्वर ने जान बचा दी. मौत को बिल्कुल सामने से देखा. क्षत-विक्षत लाश देखी. हिम्मत काम नहीं कर रहा था. वह तो इमरजेंसी विंडो तोड़कर निकल गया. बाहर आकर साथी संतोष यादव को याद आयी तो फिर डब्बे में घुंसा. वो भी जख्मी था. किसी तरह से उसे बाहर निकाला. कुछ ही देर में सभी ओर से पुलिस, रेल प्रशासन एवं स्थानीय लोग पहुंच गये. जख्मियों व शवों को बोगी से निकालने में जुट गये. पप्पू ने कहा कि हम सभी को हॉस्पीटल पहुंचा दिया गया. वहां प्राथमिक उपचार के बाद रेल प्रशासन की ओर से बस की व्यवस्था कर घर के लिए रवाना कर दिया गया. अभी सभी लोग रास्ते में हैं.

Also Read: सीएम नीतीश कुमार ने राजगीर मलमास मेले की तैयारियों का लिया जायजा, अधिकारियों को दिए ये आदेश
हर तरफ क्षत-विक्षत लाशें पड़ी थी: पप्पू

हॉस्पीटल के दृश्य का वर्णन करते हुए पप्पू ने बताया कि कहा कि हर तरफ क्षत-विक्षत लाशें पड़ी थी. जख्मी व अपंग हो गये लोगों की चीख डर पैदा कर रही थी. यह देखना भी किसी सजा से कम नहीं था. हादसे में बचे रूपेश कुमार यादव ने कहा कि घटना के बाद अपने पिता को मोबाइल पर सूचना दी थी. कपड़े वाले बैग, थैले आदि भी उठाने का होश नहीं रहा. इसमें संतोष कुमार यादव अधिक जख्मी है, लेकिन प्राथमिक उपचार के बाद वह भी अपने साथियों के साथ घर के लिए विदा हो गये हैं. उन्होंने कहा कि प्राथमिक उपचार के बाद सभी को हॉस्पीटल से डिस्चार्ज कर दिया गया है.

रिपोर्ट: एमए सारिम, अलीनगर

Exit mobile version