पटना. निगरानी ने 15 साल में 4517 लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में केस दर्ज किया है या उनके खिलाफ किसी न किसी प्रकार की जांच चल रही है. सोमवार को निगरानी की ओर से ऐसे 4517 भ्रष्ट सरकारी कर्मियों व अधिकारियों की सूची जारी करते हुए सभी विभागों को भेजा गया. सभी विभागों से कहा गया है वे इस सूची के आधार पर ही प्रोन्नति पर निर्णय लें.
सूची में उन 27 कर्मियों के भी नाम हैं, जिनका मामला विशेष निगरानी इकाई में चल रहा है. सूची में 2006 से लेकर 31 दिसंबर, 2021 तक की कार्रवाई का ब्योरा है. सबसे ज्यादा वैसे पदाधिकारियों या कर्मियों की संख्या है, जिन पर अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगा है. सभी स्तर के विभागीय कर्मियों को प्रोन्नति के लिए निगरानी विभाग की तरफ से स्वच्छता प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य होता है.
इसे देखते हुए विभाग की तरफ से सभी स्तर के कर्मियों की सूची सभी विभाग से लेकर सभी जिलों को भेजी गयी है, ताकि इस सूची में शामिल कर्मियों को प्रोन्नति नहीं मिल सके. अब कोई भी विभाग या जिला इस सूची में शामिल कर्मियों के नाम को देख कर इससे संबंधित निर्णय ले लेगा. इसके लिए निगरानी विभाग को प्रमाणपत्र प्राप्त करने की अधियाचना भेजने की जरूरत नहीं है.
कर्मियों की प्रोन्नति से संबंधित 30 जून, 2022 तक के सभी विचाराधीन मामलों के लिए इस सूची के आधार पर ही कार्रवाई की जायेगी. इस सूची में इनके नामों के सामने यह भी जानकारी दर्ज है कि इनके मामले की मौजूदा स्थिति क्या है. बिप्रसे से लेकर नीचे तक के सभी स्तर के कर्मियों की इसी सूची में कुछ एक उच्च पद पर रह चुके राजनीतिक शख्सियत भी शामिल हैं.
एक पूर्व विधान परिषद एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के नाम भी शामिल हैं. इन आरोपित कर्मियों की सूची में सबसे ज्यादा शिक्षा विभाग से मुख्यालय से लेकर जिला एवं स्कूल स्तर तक के 930 कर्मियों के नाम हैं. 658 निजी लोगों के नाम भी शामिल इसमें विभाग से जुड़े या भ्रष्टाचार के मामलों में शामिल 658 निजी लोगों के नाम भी शामिल हैं. सभी विभागों को इससे संबंधित जानकारी विशेष कार्य पदाधिकारी अरुण कुमार ठाकुर के स्तर से दी गयी है.