बिहारशरीफ. बिहार सरकार जहां कोरोना से बचाव और उसके रोकथाम के लिए पूरे देश में काफी सतर्कता बरत रही है. वहीं, इसके संक्रमण पर रोक के लिए जिलों के स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन को सख्त निर्देश दिया है. सूत्रों ने बताया कि जिस क्षेत्र में कोई कोरोना पॉजिटिव पाया जायेगा. उस क्षेत्र के तीन किलोमीटर क्षेत्र में सैनिटाइज किया जाना है, ताकि उक्त मरीज के कारण क्षेत्र में फैले कोरोना वायरस को मृत किया जा सके. जबकि, सरकार ने कोरोना के मरीज पाये जाने वाले गांव, टोला या मोहल्लों के सात किलोमीटर की परिधि क्षेत्र को विशेष तौर पर लॉकडाउन रखने का निर्देश दिया है. हालांकि इस जिले में अब तक कोरोना से संक्रमित कोई मरीज नहीं मिला है. फिर भी जिला प्रशासन व पुलिस काफी सक्रिय है, ताकि अन्य राज्यों या नगरों से आये किसी संक्रमित व्यक्ति किसी दूसरे को चपेट में न ले.
गांव में प्रवेश रास्ते को सील कर ग्रामीण कर रहे पहरेदारी
बिहारशरीफ के ग्रामीण क्षेत्रों में भी लॉकडाउन का असर दिखने लगा है. लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं. अपने परिवार और देश को बचाने के लिए ग्रामीण काफी सजग हो गये हैं. ग्रामीण लोगों को जागरूक कर रहे हैं, ताकि बाहर से कोई भी लोग गांव में आकर प्रवेश न करें. ग्रामीण बाहर से आने-जाने वाले लोगों पर पैनी निगाह रखे हुए हैं. कई गांवों के लोग आने-जाने वाले मार्ग को सील कर पहरेदारी कर रहे हैं. सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश का पालन कराने में मुखिया जुटे हुए हैं. मुखिया अपने पंचायत के गांवों में घूमकर लोगों को जागरूक करते दिख रहे हैं. नूरसराय प्रखंड के बाराखुर्द, डोइया, चरूईपर, नदिऔना आदि पंचायतों में मुखिया, वार्ड सदस्य एवं प्रतिनिधियों ने कोरोना को ले लॉकडाउन का पालन करने का निर्देश देते आ रहे हैं.
गांव में माइक से प्रचार एवं प्रसार भी किया जा रहा है. दर्जनों गांवों के लोगों ने सूबे से बाहर से आने वाले लोगों को पहले निकट के विद्यालय या पंचायत सरकार भवन में ठहरने की व्यवस्था करते हैं. फिर चिकित्सक से जांच कराने के बाद ही घरों में प्रवेश करने की अनुमति ग्रामीण देते हैं. कोरोना के संक्रमण से बचाव एवं रोकथाम के लिए शहरवासी से ज्यादा गांव के लोग अधिक जागरूक हैं. लॉकडाउन का पालन करने में जुट गये हैं. साथ ही अपने घरों के आसपास और घर-घर जाकर लोगों को जागरूक भी करते हैं. ग्रामीणों में कोरोना वायरस को ले काफी भय दिख रहा है. ग्रामीण कहते हैं कि यह बीमारी हैजा, प्लेग, कॉलरा, चेचक आदि से भी भयानक है. इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है और न ही इसकी दवा विकसित हुई है. ग्रामीण लॉकडाउन के प्रति काफी गंभीर दिख रहे हैं.