Bihar News: बनते हुए रिश्ते फिर से दरकने के कगार पर, डेढ़ साल से महिला आयोग भंग, अब भी डाक से आ रहे आवेदन
Bihar News: महिला आयोग की पहल से कई पीड़िताओं को अपने ससुराल में रहने का मौका मिला था. आयोग की ओर से लगातार फॉलोअप होने की वजह से पीड़िताओं के अपने परिवार के साथ संबंध बेहतर हो रहे थे, लेकिन आयोग के भंग होने के बाद कई मामलों की सुनवाई नहीं हो पायी.
जूही स्मिता/पटना. महिला आयोग को भंग हुए डेढ़ साल हो चुके हैं. अभी तक आयोग के सदस्यों और अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पायी है. महिला आयोग में आने वाली पीड़िताओं का न तो आवेदन लिया जा रहा है और न ही उनकी सुनवाई हो रही है. वहीं, जो भी आवेदन पेंडिंग हैं, उनका रजिस्टर मेंटेन किया जाता है. यहां पीड़िताएं जब अपना आवेदन लेकर आती हैं, तो उन्हें महिला थाना या फिर महिला हेल्पलाइन जाने की सलाह दी जाती है.
इस साल अप्रैल तक आ चुके 784 आवेदन
जिन मामलों की तारीख पिछले साल की थी, वे सभी पेंडिंग हो गयी हैं. साल 2020 में कुल 3053 आवेदन आये थे. आयोग भंग होने के बाद से 1415 आवेदनों पर कार्रवाई नहीं हो पायी है. वहीं आज भी पोस्ट के जरिये कई पीड़िताएं अपना आवेदन महिला आयोग भेजती हैं, लेकिन वे सभी बस रजिस्टर में दर्ज हो कर रह जाते हैं. साल 2021 में पोस्ट के जरिये 2544 आवेदन आये, जबकि इस साल अप्रैल तक 784 आवेदन आ चुके हैं.
आज भी महिला आयोग पर है भरोसा
उप सचिव अंजू कुमारी बताती हैं कि आयोग में पिछले डेढ़ साल से कोई सुनवाई नहीं हुई है. हमारे पास कई बार ऐसे भी आवेदन आये, जिसमें त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत थी. ऐसे में उचित कार्रवाई के लिए आवेदन को संबंधित जिलों के एसपी को भेजा जाता है. पिछले छह महीनों में 76 ऐसे मामले यहां आ चुके हैं. आज भी कई महिलाओं को आयोग के पुनर्गठन का इंतजार है. उनका कहना है कि यहां पर मामले को गंभीरता से लेकर तुरंत कार्रवाई होती है.
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कई परिवार टूटने के कगार पर
महिला आयोग की पहल से कई पीड़िताओं को अपने ससुराल में रहने का मौका मिला था. आयोग की ओर से लगातार फॉलोअप होने की वजह से पीड़िताओं के अपने परिवार के साथ संबंध बेहतर हो रहे थे, लेकिन आयोग के भंग होने के बाद कई मामलों की सुनवाई नहीं हो पायी और न ही कोई फॉलोअप हो पाया. इसकी वजह से कई पीड़िताओं के परिवार टूटने के कगार पर हैं. पूर्व अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा बताती हैं कि आज भी उनके पास करीब 8-10 कॉल मदद के लिए आते हैं. वे बताती हैं कि पीड़िताएं और उनके परिजन रोजाना उन्हें कॉल कर मदद की गुहार लगाते हैं.