बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री व जदयू नेता संजय झा ने बिहार सरकार की साइकिल योजना की तारीफ करते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं.बता दें कि आज 3 जून को विश्व साइकिल दिवस है. और साइकिल योजना बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रमुख योजनाओं में एक है. जिसे अपनी उपल्बधियों में जदयू गिनाती है.
2006 से समाज की सोच बदली :
मंत्री संजय झा ने अपने ट्वीट में लिखा कि 2005 में बिहार की राजधानी पटना तक में लड़कियां खुलेआम साइकिल नहीं चलाती थीं.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा 2006 में शुरू की गई बालिका साइकिल योजना ने एक झटके में समाज की सोच बदल दी.आज राज्य के हर गांव में लड़कियां शान से साइकिल पर स्कूल जाती हैं.
साइकिल योजना ने बेटियों में आत्मविश्वास भरा :
मंत्री आगे लिखते हैं कि 2005 में बिहार में लड़कियों की शिक्षा गैरजरूरी कहलाती थी.साइकिल योजना ने बेटियों में ऐसा आत्मविश्वास भरा कि अब न सिर्फ मैट्रिक परीक्षा में छात्र व छात्राओं की संख्या लगभग बराबर रहती है, बल्कि कॉलेजों व प्रतियोगी परीक्षाओं में भी वे रिकार्ड प्रदर्शन कर रही हैं.
आज #WorldBicycleDay है। इस #साइकिल ने बिहार की बेटियों को पंख दिए हैं।
माननीय मुख्यमंत्री श्री @NitishKumar ने 2006 में बालिका साइकिल योजना शुरू की थी। इससे छात्राओं में पढ़ने की ललक पैदा हुई। 2005 की मैट्रिक परीक्षा में 1.87 लाख छात्राएं शामिल थी, जो 2019 में 8.26 लाख हो गईं।
— Sanjay Kumar Jha (@SanjayJhaBihar) June 3, 2020
बच्चे पहले पगडंडियों पर चल कर स्कूल जाते थे :
उन्होंने 2006 से पहले के कार्यकाल का जिक्र करते हुए लिखा कि ” 2005 में राज्य के ज्यादातर गांवों में स्कूल जाने के लिए पक्की सड़क नहीं थीं. बच्चे पगडंडियों पर चल कर स्कूल जाते थे. मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने गांव-गांव में सड़कों का जाल बिछाया और बालिकाओं को साइकिल देकर उन सड़कों पर सम्मान से चलने का अधिकार भी दिया.
साइकिल ने बिहार की बेटियों को पंख दिए हैं :
अपने अगले ट्वीट में संजय झा लिखते हैं कि आज विश्व साइकिल दिवस है. इस साइकिल ने बिहार की बेटियों को पंख दिए हैं. माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 2006 में बालिका साइकिल योजना शुरू की थी. इससे छात्राओं में पढ़ने की ललक पैदा हुई. 2005 की मैट्रिक परीक्षा में 1.87 लाख छात्राएं शामिल थी, जो 2019 में 8.26 लाख हो गईं.
2005 में बिहार में लड़कियों की शिक्षा गैरजरूरी कहलाती थी।
साइकिल योजना ने बेटियों में ऐसा आत्मविश्वास भरा कि अब न सिर्फ मैट्रिक परीक्षा में छात्र व छात्राओं की संख्या लगभग बराबर रहती है, बल्कि कॉलेजों व प्रतियोगी परीक्षाओं में भी वे रिकार्ड प्रदर्शन कर रही हैं। #WorldBicycleDay pic.twitter.com/sq6V85yaM2
— Sanjay Kumar Jha (@SanjayJhaBihar) June 3, 2020
Posted by : Thakur Shaktilochan Sandilya