पटना. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की जांच के दायरे में आनेवाले एक लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों को शिक्षा विभाग के वेब पोर्टल पर 17 मई तक शैक्षणिक, अनुभव और प्रशिक्षण संबंधी दस्तावेज अपलोड करने होंगे़ दस्तावेज उपलब्ध कराने का यह अंतिम मौका होगा़ शिक्षा विभाग ने इसका आदेश जारी कर दिया है़
शिक्षा विभाग की तरफ से विकसित पोर्टल एनआइसी की वेवसाइट पर है़ जानकारी के मुताबिक, ये वे शिक्षक हैं, जिनका नियोजन पंचायती राज और नगर निकायों की ओर से वर्ष 2006 से 2015 के दौरान किया गया था़ बाद में एक मामले में हाइकोर्ट ने करीब तीन लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच का आदेश दिया. इनमें से 1,03,917 शिक्षकों ने अपने पांच लाख से अधिक दस्तावेज जांच के लिए निगरानी को अब तक नहीं सौंपे हैं.
इन शिक्षकों को दस्तावेज शिक्षा विभाग की तरफ से विकसित सॉफ्टवेयर युक्त वेव पोर्टल पर अपलोड करने होंगे़ अपलोड किये गये दस्तावेजों की जांच निगरानी ब्यूरो करेगा़ प्राथमिक निदेशक डॉ रणजीत कुमार सिंह के हस्ताक्षर से जारी आदेश के मुताबिक इन शिक्षकों को तय तिथि तक एनआइसी की वेबसाइट पर दस्तावेज अपलोड करने होंगे़ इन्हीं दस्तावेजों की एक प्रति प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के इ-मेल पर उपलब्ध कराना होगा़ प्राथमिक निदेशक ने इस संबंध में डीइओ को दिशानिर्देश दे दिये हैं.
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वर्ष 2006 से 2015 के बीच नियुक्त तीन लाख 53 हजार 017 नियोजित शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच पांच साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है.
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अभी तक करीब 1572 शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है.
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यूपी, मध्यप्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, पश्चिम बंगाल से जुड़े शैक्षणिक दस्तावेजों के सत्यापन के लिए भी कोशिश की जा रही है.
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प्रदेश की सैकड़ों पंचायतों की नियोजन इकाइयों ने फोल्डर नहीं हैं या चोरी हो गये हैं, कह कर पल्ला झाड़ रखा है़
इन शिक्षकों को एक विशेष फॉर्मेट में अपनी जानकारी भी देनी है़ इस जानकारी में नियोजन इकाई, प्रखंड, पिता या पति का नाम, विद्यालय का नाम, ज्वाइनिंग की तिथि, इपीएफ एकाउंट आदि की जानकारी देनी होनी चाहिए़.
अगर कोई शिक्षक अपने दस्तावेज मुहैया नहीं कराते हैं तो उनके खिलाफ नोटिस जारी कर प्राथमिकी भी दर्ज करायी जा सकती है़ शिक्षा विभाग की हालिया बैठक में इस संबंध में जरूरी दिशानिर्देश जारी किये जा चुके हैं.
Posted by Ashish Jha