UGC: ऑनलाइन-डिस्टेंस डिग्री भी रेगुलर डिग्री के बराबर, बिहार में सिर्फ NOU को डिस्टेंस एजुकेशन की अनुमति

UGC ने कहा कि मान्यता प्राप्त संस्थानों से डिस्टेंस और ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों की डिग्री को पारपंरिक शिक्षा डिग्री के समान माना जाएगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2022 5:13 PM

बिहार में ऑनलाइन और डिस्टेंस लर्निंग डिग्री के लिए एडमिशन लेने वालों के लिए खुशखबरी है. दरअसल, विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक आदेश जारी करते हुए कहा है कि अब मान्यता प्राप्त संस्थानों से हासिल की गई डिस्टेंट लर्निंग और ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की डिग्री को भी पारपंरिक शिक्षा डिग्री के समान माना जाएगा.

यूजीसी ने की घोषणा

बता दें कि देश समेत बिहार में हर साल नालांद खुला विवि समेत अन्य विवि में हर साल लाखों की तादाद में डिस्टेंस या फिर ऑनलाइन डिग्री कोर्स में एडमिशन लेते हैं. इसमें नौकरी पेशा वर्ग के लोगों की तादाद सबसे अधिक रहता है. हालांकि ऑनलाइन डिग्री या डिस्टेंस डिग्री को उतना महत्व नहीं दिया जाता था. ऐसे में लोगों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता था. इस वजह से UGC के सचिव रजनीश जैन निर्देश जारी करते हुए बताया कि परंपरागत तरीके से विश्वविद्यालयों और कालेजों से मिलने वाली स्नातक और परास्नातक डिग्रियों की ही तरह वर्ष 2014 में यूजीसी की अधिसूचना के तहत ओपन और डिस्टेंस लर्निंग से जुड़े विश्वविद्यालयों की स्नातक और परास्नातक डिग्रियों को भी मान्यता मिलेगी. इसके अलावा, उच्च शिक्षण संस्थानों के आनलाइन पाठ्यक्रमों को भी उतना ही महत्व मिलेगा.

UGC के नियम 22 के तहत लिया गया फैसला

बता दें कि देशभर में ऑनलाइन या डिस्टेंट लर्निंग कोर्सों में भारतीय छात्रों के कुल 25 फीसद छात्र पंजीकृत होते हैं. इनमें से बड़ी तादाद में नौकरी पेशा करने वाले लोग होते हैं, जो नौकरी करते हुए पढ़ाई कर रहे होते हैं. यूजीसी के सचीव रजनीश जैन ने बताया कि यह फैसला मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम और आनलाइन कार्यक्रम) के नियमन के नियम 22 के तहत लिया गया है. यूजीसी के इस फैसले से बिहार के भी हजारों छात्रों को लाभ मिलेगा. बता दें कि केवल नालंदा खुला विश्वविद्यालय में ही बिहार के हजारों छात्र डिस्टेंस मोड में डिग्रियां प्राप्त करते हैं.

केवल नालंदा विवि में होती है डिस्टेंस मोड में पढ़ाई

बता दें कि इससे पूर्व बिहार में बिहार में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (एलएमएनयू) दरभंगा, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर, पटना विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय बोधगया से दूरस्थ शिक्षा से विभिन्न तरह के कोर्स कराने की अनुमति थी. मानक पर खरा नहीं उतरने के कारण दूरस्थ शिक्षा के लिए इन विश्वविद्यालयों की मान्यता खत्म कर दी गई है. अभी बिहार में केवल एकमात्र ओपेन यूनिवर्सिटी ‘नालंदा खुला विश्वविद्यालय’ (एनओयू) को भी शैक्षणिक सत्र 2022-23 तक पढ़ाई कराने की अनुमति दी गई है. इसके बाद पढ़ाई जारी रखने के लिए डीईबी से अनुमति लेनी होगी. एलएनएमयू को वर्ष 2018-19 से 2019-20 तक मान्यता दी गई थी. वह भी अब समाप्त हो गई है.

मान्यता के लिए ‘ए’ ग्रेड जरूरी

गौरतलब है कि किसी भी विश्वविद्यालय में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय चलाने के लिए नैक से ए ग्रेड की मान्यता जरूरी है. निदेशालय के नियमित संचालन के लिए नैक से मिलने वाले ग्रेड के अंक 3.26 सीजीपीए होना अनिवार्य है. इसके होने के बाद ही यूजीसी के दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो से किसी भी विवि को किसी प्रकार का कोर्स कराने की अनुमति दी जा सकती है. वर्तमान में राज्य के किसी भी विश्वविद्यालय को नैक से ‘ए’ ग्रेड नहीं प्राप्त है.

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