मुजफ्फरपुर : अधिकारियों की लापरवाही के कारण सरकार की महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच रहा है. योजनाओं की समीक्षा के क्रम में अधिकारियों की लापरवाही सामने आने पर कड़ी कार्रवाई भी होती है.
ताजा मामला मध्याह्न भोजन वितरण से संबंधित है. केंद्र व राज्य सरकार के कड़े निर्देश के बाद भी कोरोना संक्रमण को लेकर किये गये लॉकडाउन के दौरान विद्यालयों में मध्याह्न भोजन वितरण की स्थिति काफी दयनीय है. मध्याह्न भोजन सामग्री के वितरण की स्थिति पर चिंता जताते हुए मानवाधिकार आयोग व उच्च न्यायालय ने भी संज्ञान लिया है.
आयोग और न्यायालय के कड़े रूख के बाद इससे संबंधित जिले के अधिकारियों से जबाव-तलब किया गया है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने डीइओ व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी से तीन दिनों के अंदर स्पष्टीकरण तलब किया है. शिक्षा विभाग ने जून और जुलाई माह के मध्याह्न भोजन वितरण की समीक्षा की. इस क्रम में प्रदेश के मुजफ्फरपुर सहित आठ जिलों में मध्याह्न भोजन के वितरण की स्थिति मात्र एक से आठ प्रतिशत ही आंकी गयी.
प्रदेश में मध्याह्न भोजन योजना अवरुद्ध रहने की जानकारी मिलने पर उच्च न्यायालय, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और बिहार मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान ले लिया है. इससे संबंधित जिले के शिक्षा अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है.
posted by ashish jha