पटना. बिहार में जनसंख्या-चिकित्सक अनुपात में बड़ा गैप है. राज्य सरकार प्रति हजार की आबादी पर एक चिकित्सक का लक्ष्य हासिल करना चाहती है. वर्तमान में बिहार में प्रति 22 हजार की आबादी पर एक चिकित्सक उपलब्ध हैं. राष्ट्रीय स्तर पर 11,528 की आबादी पर एक चिकित्सक हैं. राज्य में नये कोर्स भी आरंभ किये जा रहे हैं. वहीं जनसंख्या और चिकित्सकों के गैप को पाटने के लिए राज्य सरकार द्वारा हर जिले में मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की स्थापना के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है. साथ ही प्राइवेट कॉलेजों की स्थापना भी की जा रही है.
सरकारी अस्पतालों में स्थायी चिकित्सकों के कुल 12,895 पद स्वीकृत
राज्य के सरकारी अस्पतालों में स्थायी चिकित्सकों के कुल 12,895 पद स्वीकृत हैं. स्थायी चिकित्सकों के कुल पदों में 6330 पदों पर ही चिकित्सक कार्यरत हैं. अभी भी 50 प्रतिशत स्थायी चिकित्सकों के पद रिक्त हैं. इसी प्रकार से सरकारी अस्पतालों में संविदा वाले 4751 पद स्वीकृत हैं, जिस पर 3030 पदों पर चिकित्सक कार्यरत हैं. संविदा वाले 36 प्रतिशत पद रिक्त हैं. वर्तमान में राज्य में 20 मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में सलाना 2640 चिकित्सक प्रशिक्षण लेकर निकलते हैं. इसमें 12 सरकारी मेडिकल कॉलेजों से 1490 और आठ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों से 1150 डॉक्टर पास कर निकलते हैं. बावजूद इसके अभी राज्य में जनसंख्या के अनुपात में चिकित्सक उपलब्ध नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति हजार की आबादी पर एक चिकित्सक उपलब्ध होने चाहिए.
विशेषज्ञों को लेकर नयी पहल की गयी
कोविड महामारी के दौरान इमरजेंसी मेडिसिन, हस्पीटल एडमिनिस्ट्रेशन, हेल्थ एडमिस्ट्रेशन और वायरोलॉजी जैसे विशेषज्ञों की बड़ी संख्या में आवश्यकता महसूस की गयी थी. राज्य सरकार ने फिलहाल नेशनल मेडिकल कमीशन से इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में इमरजेंसी मेडिसिन के पीजी एमडी कोर्स में पांच विशेषज्ञों के दाखिले का आवेदन किया है.
बिहार में विभिन्न पद्धति के 1,19,000 डॉक्टर पंजीकृत
बिहार में 40,200 एलोपैथिक डॉक्टर, 33,922 आयुष डॉक्टर, 34,257 होम्योपैथिक डॉक्टर, 5,203 यूनानी डॉक्टर और 6,130 दंत चिकित्सक हैं. वैसे 2021 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने अपने बजट भाषण में यह दावा किया था कि राज्य में 12 करोड़ की आबादी के लिए 1,19,000 डॉक्टर हैं और ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुशंसित डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात को “लगभग” पूरा करता है. वैसे तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और वर्तमान स्वास्थ्यमंत्री तेजस्वी यादव ने स्वास्थ्य विभाग के बजट पर बहस के दौरान राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए डब्ल्यूएचओ के नियमों का मुद्दा उठाया था. उसी के बाद तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य में विभिन्न विधा में पंजीकृत डॉक्टरों की संख्या का विवरण भी दिया था.
बिहार 14 नये मेडिकल कॉलेजों में से सात कॉलेजों पर अभी चल रहा है काम
बिहार 14 नये मेडिकल कॉलेजों में से, सात कॉलेजों पर काम अभी चल रहा है. पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल को 5,540.07 करोड़ की लागत से देश का पहला और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल बनाने के लिए पुनर्विकास किया जा रहा है. 5,462 बिस्तरों वाले इस अस्पताल की आधारशिला 8 फरवरी 2021 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रखी थी और यह अगले दो वर्षों में पूरा हो जाएगा. स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों को भरने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है. साथ ही 13 जिला अस्पतालों – भागलपुर, बेगुसराय, गया, गोपालगंज, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, मुंगेर, नालंदा, पटना, रोहतास, समस्तीपुर, सीवान और सारण को “मॉडल” अस्पताल के रूप में विकसित किया जा रहा है.