पटना के IGIMS में ओपन हार्ट सर्जरी की हुई शुरुआत, पहली बार 10 महीने के बच्चे का किया गया ऑपरेशन
पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में छोटे बच्चों की ओपन हार्ट सर्जरी शुरू कर दी गयी है. पहली बार यहां के सीटीवीएस विभाग में पहली बाद आठ महीने के बच्चे की सफलतापूर्वक सर्जरी की गयी है. सफल सर्जरी के बाद संस्थान के निदेशक डॉ बिंदे कुमार ने सर्जरी करने वाली पूरी टीम को बधाई दी है.
बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं का लगातार विस्तार हो रहा है. इसी कड़ी में राजधानी पटना में भी कई काम किये जा रहे हैं. शहर के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) में अब छोटे बच्चों की भी ओपन हार्ट सर्जरी शुरू कर दी गयी है. पहली बार गुरुवार को शहर के आइजीआइएमएस अस्पताल के सीटीवीएस (कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी) विभाग में आठ महीने के बच्चे की सफलतापूर्वक ओपन हार्ट सर्जरी की गयी है. जिसके बाद बच्चा अब पूरी तरह स्वस्थ है.
10 महीने के बच्चे के दिल में था छेद
प्राप्त जानकारी के अनुसार भोजपुर जिले के एक किसान के 10 महीने के बच्चे के दिल में छेद था. जिससे उसे कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करने पर रहा था. बच्चे को लगातार सांस लेने में तकलीफ, सर्दी, खांसी व बुखार आदि की समस्या बनी रहती थी. इसी वजह से उसे जांच के लिए आइजीआइएमएस लाया गया जहां दिल में छेद होने की बात बतायी गयी. फिर सीटीवीएस विभाग के अध्यक्ष डॉ शील अवनीश की देख रेख में उनकी टीम द्वारा बच्चे की ओपन हार्ट सर्जरी की गयी.
मुख्यमंत्री स्वास्थ्य अनुदान योजना के तहत हुई सर्जरी
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के उपनिदेशक डॉ मनीष मंडल ने बताया कि पहली बार अस्पताल में एक साल से कम उम्र के बच्चे की ओपन हार्ट सर्जरी की गयी है. यह सर्जरी मुख्यमंत्री स्वास्थ्य अनुदान योजना के तहत हुई है. सर्जरी के बाद अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है. डॉ मनीष ने बताया कि संस्थान में मात्र सवा से डेढ़ लाख रुपये के बीच ही बच्चों की यह ओपन हार्ट सर्जरी की जा रही है. जबकि इस तरह का ऑपरेशन कराने में प्राइवेट अस्पतालों में साढ़े तीन से पांच लाख रुपये तक खर्च हो जाते हैं.
बच्चों की ओपन हार्ट सर्जरी करने में लगते हैं पांच घंटे
डॉ मनीष मंडल ने बताया कि वयस्क लोगों के मुकाबले बच्चों की सर्जरी काफी महंगी होती है, क्योंकि इनकी सर्जरी करने में पांच घंटे या उससे अधिक का भी टाइम लगता है. इसी कारण से ऑपरेशन का खर्च थोड़ा बढ़ जाता है. वहीं सफल सर्जरी के बाद संस्थान के निदेशक डॉ बिंदे कुमार ने सर्जरी करने वाली पूरी टीम को बधाई दी है.
क्या है मुख्यमंत्री स्वास्थ्य अनुदान योजना
बता दें कि बिहार सरकार मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष योजना (मुख्यमंत्री स्वास्थ्य अनुदान योजना) के तहत असाध्य रोगों से ग्रसित वैसे लोग जिनकी वार्षिक आय ढाई लाख रुपये से कम है, उन्हें इलाज के लिए आर्थिक सहायता देती है. इसके योजना के तहत 14 असाध्य बीमारियों के इलाज के लिए राशि मुहैया करायी जाती है. इसमें योजना के तहत राज्य के बाहर इलाज कराने पर भी सहायता दी जाती है. इस योजना के तहत 20 हजार रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक की सहायता दी जाती है. इस योजना के तहत सालाना कम आय व प्रदेश की सरकारी और सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम से मान्यता प्राप्त अस्पताल में इलाज कराने वाले रोगी को यह सहायता दी जाती है. इलाज के लिए इन मान्यता प्राप्त अस्पतालों से दूसरे प्रदेश में रेफर करने वाले रोगी को भी हृदय रोग कैंसर, कुल्हा रिप्लेसमेंट, घुटना रिप्लेसमेंट, एसिड अटैक से जख्मी बोन मैरो ट्रांसप्लांट, हैपेटाइटिस, ट्रांसजेंडर सर्जरी, नेत्र रोग सहित 14 तरह की बीमारियों के इलाज के लिए सरकारी सहायता दी जाती है.
क्या होती है ओपन हार्ट सर्जरी
ओपन हार्ट सर्जरी एक विशेष प्रकार की सर्जरी होती है. इस सर्जरी में डॉक्टर हृदय तक पहुंचने के लिए छाती में चीरा लगाते हैं. इसके बाद हृदय की मांसपेशियों, वाल्व या धमनियों से जुड़ी किसी भी समस्या को ठीक करने के लिए ऑपरेशन किया जाता है. कोरोनरी हृदय रोग से पीड़ित लोगों को अक्सर इस सर्जरी की आवश्यकता होती है. जब कोई व्यक्ति कोरोनरी हृदय रोग से पीड़ित होता है तो उसके हृदय को रक्त और ऑक्सीजन देने वाली रक्त वाहिकाएं संकीर्ण और कठोर हो सकती हैं. जिसे अक्सर धमनियों का सख्त होना कहा जाता है. इस बीमारी के कारण दिल का दौड़ा पड़ने का खतरा भी बढ़ जाता है.
इन स्थितियों में भी की जाति है ओपन हार्ट सर्जरी
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हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत होती है
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हृदय के वाल्वों की मरम्मत या उनके बदलने के लिए भी यह सर्जरी की जाती है
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हृदय के क्षतिग्रस्त या असामान्य क्षेत्रों की मरम्मत करने के लिए
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दिल को ठीक से धड़कने में मदद करने के लिए पेसमेकर लगाने के लिए भी यह सर्जरी होती है