पटना. पुलिस विशेष सशस्त्र विधेयक को पेश नहीं होने देने की मांग पर अड़े विपक्षी सदस्यों ने मंगलवार को विधानसभा के अंदर और बाहर भारी हंगामा किया. इस दौरान विपक्ष ने सारी मर्यादाएं तोड़ दीं. विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को उनके कक्ष में बंधक बनाने की कोशिश की.
सदन के अंदर विपक्ष की महिला विधायकों ने आसन को घेरे रखा. अंत में पुलिस की मदद से हंगामा कर रहे विपक्षी विधायकों को बाहर निकाला गया. देर शाम सात बजे सदन में ध्वनि मत से पुलिस विशेष सशस्त्र विधेयक पारित हो गया.
इसके पहले विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे और शोरगुल के कारण सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित करनी पड़ी. इस दौरान गृह विभाग के प्रभारी मंत्री ने पुलिस विशेष सशस्त्र विधेयक- 2020 को विधानसभा में पेश कर दिया. हंगामे के कारण सदन पहली बार तीन बजे तक के लिए और दूसरी बार साढ़े चार बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी.
सदन के इतिहास में पहली बार यह देखा गया कि साढ़े चार बजे सदन की घंटी बजती रही और विपक्ष के सारे सदस्य विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष को बाहर से घेरे रहे. भारी नारेबाजी और हंगामे के बीच मार्शल और विधायकों के बीच गुत्थम-गुत्थी होती रही. दो बार स्पीकर को उनके आसन तक पहुंचाने की मार्शलों ने अपनी ओर से कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाये.
करीब आधा घंटा तक घंटी बजती रही, और सदन ऑर्डर में नहीं आ पाया तो विधानसभा अध्यक्ष के कमरे के बाहर डीएम चंद्रशेखर सिंह और एसएसपी उपेंद्र सिंह सुरक्षा बलों के साथ पहुंचे. उन लोगों ने नारेबाजी कर रहे विधायकों को हटाने और उन्हें मनाने की पूरी कोशिश की, पर कोई सफलता नहीं मिली. अंत में विधायकों को मार्शल आउट करने का आदेश दिया गया.
पुलिस के जवान और मार्शलों की मदद से विपक्षी विधायकों को हटाया गया. इस दौरान दोनों ओर से धक्का-मुक्की भी हुई और बल भी प्रयोग किया. अंत में करीब साढ़े पांच बजे विपक्षी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष के बाहर से हटाया जा सका. कुछ विधायकों को जबरन बाहर निकाला गया, वहीं कुछ विधायक सदन के अंदर प्रवेश कर गये. दोबारा फिर साढ़े पांच बजे सदन की घंटी बजने लगी.
सत्ताधारी दल का प्रयास था कि वरिष्ठ सदस्य भाजपा के डॉ प्रेम कुमार को आसन पर बिठाया जाये और वह सदन में विधेयक पारित कराने की पहल करें. लेकिन, विपक्षी विधायकों की घेराबंदी के कारण डॉ प्रेम कुमार आसन पर अधिक देर नहीं बैठ पाये. राजद व भाकपा माले विधायकों ने उन्हें आसन से खींच कर उतार दिया.
इसके बाद जदयू के वरिष्ठ नेता नरेंद्र नारायण यादव को आसन संभालने को कहा गया, पर वह भी सफल नहीं हो पाये. इधर, देर शाम तक विधानमंडल का पूरा परिसर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया. शाम छह बजे के बाद सदन के अंदर विपक्ष की महिला विधायक आसन को घेरे रहीं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि विपक्ष को इस कानून को पूरी तरह से पढ़ लेना चाहिए. उसके बाद उनको एहसास होगा कि यह विधेयक कष्ट देने वाला नहीं बल्कि लोगों की रक्षा करने वाला है. यह बात समझ में नहीं आई कि कोई अपनी बात नहीं कह रहे, सदन की कार्यवाही को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं. किसने समझाया, किसने इन चीजों को बताया. ये पूरा किया जा रहा है कि बीएमपी- बिहार मिलिट्री पुलिस, ये उपयोगी नामकरण नहीं है, इसलिए इसे बदलकर बिहार सशस्त्र पुलिस बल नाम किया गया है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha