बिहार में जैविक कॉरिडोर योजना की अवधि बढ़ी, 13 जिलों में 20000 एकड़ पर होगी खेती, किसानों को मिलेंगे 11500 रुपये
नेशनल प्रोग्राम ऑन ऑर्गेनिक प्रोडक्शन (एनपीओपी) के मानक के अनुरूप बिहार के 13 जिलों में चयनित क्षेत्र को जैविक बनाना है. इसके तहत कृषि पारिस्थितिकी प्रणाली प्रबंधन द्वारा मिट्टी की स्वास्थ्य व गुणवत्ता का संरक्षण, हानिकारक पदार्थों से दोषमुक्त रखा जायेगा.
मनोज कुमार, पटना. बिहार के 13 जिलों में चल रही जैविक कॉरिडोर योजना की अवधि का विस्तार कर दिया गया है. अब यह योजना 2025 तक चलेगी. इसके तहत चयनित 13 जिलों में कुल 20 हजार एकड़ को पूर्ण रूप से जैविक क्षेत्र बनाया जायेगा. इस योजना के तहत खेती करने वाले किसानों को प्रथम वर्ष 11500 रुपये प्रति एकड़ अनुदान के रूप में दिया जायेगा. साथ ही दूसरे व तीसरे वर्ष में 65-65 सौ रुपये प्रति एकड़ अनुदान मिलेगा. पूर्व में यह योजना 2022-23 तक थी.
इन जिलों में जैविक कॉरिडोर बनाये गये
बता दें कि गंगा नदी के किनारे स्थित पटना, बक्सर, भोजपुर, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, खगड़िया, बेगूसराय, लखीसराय, भागलपुर, मुंगेर, कटिहार व नालंदा को जैविक कॉरिडोर बनाये गये हैं. वर्तमान में इन जिलों में 17507.363 एकड़ में जैविक खेती की जा रही है. बिहार राज्य जैविक मिशन इसकी मॉनीटरिंग कर रहा है. जैविक कॉरिडोर को जल-जीवन-हरियाली का महत्वपूर्ण घटक बनाया गया है.
20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की मिट्टी दोषमुक्त रखी जायेगी
नेशनल प्रोग्राम ऑन ऑर्गेनिक प्रोडक्शन (एनपीओपी) के मानक के अनुरूप इन 13 जिलों में चयनित क्षेत्र को जैविक बनाना है. जैविक खेती को क्लस्टर के रूप में बढ़ावा दिया जायेगा. इसके तहत कृषि पारिस्थितिकी प्रणाली प्रबंधन द्वारा मिट्टी की स्वास्थ्य व गुणवत्ता का संरक्षण, हानिकारक पदार्थों से दोषमुक्त रखा जायेगा. किसानों को आधारभूत संरचानाएं भी उपलब्ध करायी जायेंगी.
जैविक उत्पादों की मार्केटिंग भी होगी
इस योजना के तहत कॉमन फेसिलिटी सेंटर का निर्माण किया जायेगा. 75 फीसदी अनुदान पर आइसोलेटेट वैन, रेफ्रिजरेटेड वैन की सुविधा दी जायेगी. एजेंसी के माध्यम से जैविक उत्पादों की मार्केटिंग भी की जायेगी. इससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा.
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38 जिलों में चलेगी जैविक प्रोत्साहन योजना
राज्य के 38 जिलो में विषमुक्त अन्न का उत्पादन करने के लिए जैविक प्रोत्साहन योजना चलायी जायेगी. इसके तहत फसलों की लागत मूल्य कम उत्पादकता में वृद्धि की जायेगी. ऐसा होने पर किसानों की आय में वृद्धि होगी. इस योजना के तहत किसानों को वर्मी कम्पोस्ट, व्यावसायिक वर्मी कम्पोस्ट यूनिट निर्माण के लिए अनुदान मिलेगा. वर्मी कम्पोस्ट के लिए लागत का 50 फीसदी या अधिकतम पांच हजार रुपया प्रति यूनिट अनुदान मिलेगा. वहीं, व्यावसायिक वर्मी कम्पोस्ट निर्माण के लिए अधिकतम 6.40 लाख रुपये अनुदान मिलेगा. व्यावसायिक वर्मी कंपोस्ट के लाभुकों को तीन किस्तों में राशि का भुगतान किया जायेगा.