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बिहार में खाद के लिए हर जगह हाहाकार, कहीं कालाबाजारी तो कहीं किसान अनशन पर

Bihar News: दिसंबर में राज्य को सबसे अधिक उर्वरक की जरूरत थी, लेकिन केंद्र ने इसी महीने में आधी आपूर्तिकी. इससे बिहार में खाद (उर्वरक) को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. वर्ष 2022-23 में रबी के सीजन में उठे इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2022 8:12 AM

बिहार में खाद को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. किसानों को इस महीने में खेती के लिए सबसे ज्यादा खाद की जरूरत होती है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कम खाद की आपूर्ति होने से किसान परेशान हैं. अगर आंकड़ों पर नजर डाला जाये तो केंद्र से दिसंबर में यूरिया 37 व डीएपी 33 फीसदी कम आपूर्ति हुई. हालांकि मुख्य विपक्षी दल भाजपा इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है. अारोप-प्रत्यारोप के बीच गेहूं की बुआई करने वाले किसान हर दिन खाद के लिए दौड़ लगा रहे हैं.

परेशानी में किसान

दिसंबर में राज्य को सबसे अधिक उर्वरक की जरूरत थी, लेकिन केंद्र ने इसी महीने में आधी आपूर्तिकी. इससे बिहार में खाद (उर्वरक) को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. वर्ष 2022-23 में रबी के सीजन में उठे इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं. मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है. कृषि मंत्री इस संकट के लिए केंद्र सरकार और भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. यदि आंकड़े और तथ्य पर जायें तो तस्वीर साफ हो जा रही है. बिहार को केंद्र से जरूरत के अनुसार आवंटन तो पूरा मिल रहा है लेकिन आपूर्ति आधी अथवा उससे थोड़ी ही ज्यादा है. 20 दिसंबर के आंकड़ों पर नजर डालें तो केंद्र सरकार ने अक्तूबर में एनपीके जरूरत से 13 फीसदी अधिक भेज दिया. इसके विपरीत यूरिया 37 और डीएपी 26 फीसदी कम भेजा. वहीं नवंबर में डीएपी तो दस और एनपीके 32 फीसदी अधिक भेजा लेकिन यूरिया 32 फीसदी कम भेजा.

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दिसंबर में सबसे अधिक उर्वरक की जरूरत थी

दिसंबर में सबसे अधिक उर्वरक की जरूरत थी. इसके बाद भी केंद्र सरकार से सभी खाद कम मात्रा में मिले. यूरिया 37, डीएपी 33 फीसदी कम आपूर्ति हुई. चौंकाने वाली बात यह थी कि सरप्लस मिलने वाले एनपीके और एमओपी की आपूर्ति भी एकदम कम हो गयी. एनपीके 62 और एमओपी 40 फीसदी ही मिला. इससे अक्टूबर से 19 दिसंबर तक कुल जरूरत के यूरिया 63 प्रतिशत, डीएपी 84 प्रतिशत एवं एमओपी0 55 प्रतिशत की आपूर्ति की गयी है. वहीं आयातित यूरिया का अक्टूबर में कुल आवंटन का पांच प्रतिशत, नवंबर में 35 एवं 19 दिसंबर तक 52 प्रतिशत ही आपूर्तिकी गयी है. यानि रबी 2022- 23 में आवंटन के मुकाबले आयातित यूरिया की उपलब्धता मात्र 35 प्रतिशत दी गयी.

सीएनएफ से दुकान तक जाते-जाते बढ़ जा रही कीमतें

बिहार मेंजितनेभी सीएनएफ हैंउनका संचालन करने वालेभी अपनी मर्जी चला रहेहैं. राज्य सरकार नेमांग की है कि इनकेसंचालन की जिम्मेदारी कृषि विभाग को मिले. केंद्र सरकार 1985 की वितरण प्रणाली मेंभी सुधार करे. यह मांग पूरी नहींहुई है. इसका लाभ सीएनएफ संचालक उठा रहेहैं. वह प्रखंड स्तर केदुकानदार और थोक विक्रेताओं तक डिलेवरी नहींदे रहे.दुकानदार उठान करनेपर जो भाड़ा लगताहैउसे निर्धारित मूल्य में जोड़ दे रहेहैं. कृषि मंत्री भी इस बात को मान रहेहैं कि सीएनएफ से प्रखंड तक आपूर्ति हो तो ओवर रेट की समस्या खत्म हो. इस अतिरिक्त खर्च कोदुकानदार यूरिया की निर्धारित कीमत ‍~266 प्रति बैग में जोड़ रहे हैं.

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