बिहार के आर्यभट्ट ज्ञान यूनिवर्सिटी में लाखों का आउटसोर्सिंग घोटाला, राजभवन ने लिया बड़ा एक्शन
विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति रहे डॉ. रामेश्वर सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान विवि के पदाधिकारियों द्वारा कोष से 30 लाख से अधिक की अवैध निकासी कर घपला करने का मामला पकड़ा है. बताया जाता है कि यह राशि छात्रों से प्रवेश परीक्षा शुल्क के रूप में विश्वविद्यालय को प्राप्त हुई थी.
पटना. राजधानी पटना के आर्यभट्ट ज्ञान यूनिवर्सिटी में वित्तीय अनियमितता का नया मामला राजभवन के संज्ञान में आया है. विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति रहे डॉ. रामेश्वर सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान विवि के पदाधिकारियों द्वारा कोष से 30 लाख से अधिक की अवैध निकासी कर घपला करने का मामला पकड़ा है. बताया जाता है कि यह राशि छात्रों से प्रवेश परीक्षा शुल्क के रूप में विश्वविद्यालय को प्राप्त हुई थी. कुलपति की सूचना पर राजभवन एक्शन में आया है और पूरे मामले की जांच महालेखाकार से कराने का निर्देश जारी किया है.
नियमों को ताक पर रखकर बांटी गयी राशि
प्रभारी कुलपति की ओर से राजभवन को दी गई सूचना के अनुसार न केवल इस राशि की अवैध तरीके से निकासी की गई, बल्कि नियमों को ताक पर रखकर जैसे तैसे कुछ लोगों के बीच बांट दिया गया. इस संबंध में प्राथमिक जांच के बाद गड़बड़ी पाये जाने पर प्रभारी कुलपति ने राजभवन को सूचित किया था. इसी पत्र के आलोक में अब राजभवन सचिवालय ने महालेखाकार को पत्र लिखकर मामले की पूरी तरह जांच कराने का निर्णय लिया है. मालूम हो कि विवि लंबे समय तक प्रभारी कुलपति के भरोसे चलता रहा है. अब जब एक ओर विवि में शैक्षणिक सुधारों को लेकर कवायद शुरू हुई है. इसी दौरान राजभवन के नए पत्र से विवि में हडकंप की स्थिति है.
महालेखाकार को भेजा गया पत्र
राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू ने महालेखाकार को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि एक स्पेशल ऑडिट टीम को भेजकर मामले की पूरी जांच कराई जाय. पांच फरवरी को जारी पत्र के अनुसार कुल 30 लाख 18 हजार नौ सौ रुपए की निकासी आर्यभट्ट ज्ञान विवि के पदाधिकारियों द्वारा गलत तरीके से की गई और इसे विवि के कुछ अधिकारियों और आउटसोर्स स्टॉफ के बीच बांट दिया गया. राजभवन के पत्र में विवि के वर्तमान कुलपति प्रो. शरद कुमार यादव और प्रभारी कुलसचिव प्रो. शंकर कुमार को जांच टीम को अपेक्षित सहयोग करने और जांच से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है.
अकादमिक सलाहकार समितियां गठित
उधर, एक ओर राजभवन की ओर से वित्तीय अनियमितताओं की जांच की तैयारी है, वहीं दूसरी ओर विवि में शैक्षणिक सुधारों के लिए अकादमिक सलाहकार समितियां बनाई गईं है. विवि में वर्तमान समय में संचालित हो रहे केंद्रों और स्कूलों को पटरी पर लाने की दिशा में विशेषज्ञों की समिति सुझाव देगी. इसके बाद कई प्रशासनिक कदम उठाये जा सकते हैं. विवि में संचालित हो रहे पत्रकारिता एवं जनसंचार, भौगोलिक अध्ययन केंद्र, नैनो प्रौद्योगिकी और सेंटर फॉर रीवर स्टडीज में शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इस कदम को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.