आउटसोर्सिंग से ग्राहकों के डेटा की प्राइवेसी पर खतरा, बैंक में इलेक्ट्रॉनिक्स ट्रांजेक्शन के दौरान धोखाधड़ी से ऐसे बचें

सक्रिय जालसाज आजकल बैंकों में जमा पैसे चंद मिनटों में उड़ा ले रहे हैं. बैंक अधिकारियों की मानें, तो मूल बैंकिंग कार्यों के निजीकरण ने बैंकिंग व्यवस्था का स्वरूप बदल दिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 15, 2021 8:33 AM

सुबोध कुमार नंदन, पटना. सक्रिय जालसाज आजकल बैंकों में जमा पैसे चंद मिनटों में उड़ा ले रहे हैं. बैंक अधिकारियों की मानें, तो मूल बैंकिंग कार्यों के निजीकरण ने बैंकिंग व्यवस्था का स्वरूप बदल दिया है.

प्राइवेट एजेंट बैंकिंग व्यापार में अपनी पैठ का नाजायज फायदा उठाकर बैंक व ग्राहकों को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं. बैंक मित्र की बहाली और अतिसूक्ष्म शाखाओं का प्रचलन एक बड़ा कदम है.

बैंक मित्रों को तीन से पांच हजार की पगार पर खाता खोल कर बैंकिंग लेनदेन किया जा रहा है और उनकी संख्या स्थायी बैंक कर्मियों से दोगुनी है. इसके अलावा ऋण वसूली, शाखा को कैश सप्लाइ, एटीएम में कैश लोडिंग, चेक आहरण, बीमा, क्रेडिट कार्ड वितरण, फंड इन्वेस्टमेंट आदि संवेदनशील कार्यों के लिए भी निजी एजेंसी की सेवाएं ली जाती हैं.

स्टेट बैंक के पूर्व चीफ मैनेजर वंशीधर प्रसाद ने बताया कि विजिलेंस विभाग का मुख्य उद्देश्य बैंकों की ओर से प्राप्त जमा राशि एवं दी गयी लोन की राशि पर इस तरह नियंत्रण बनाये रखना है कि उस राशि का दुरुपयोग न हो.

इलेक्ट्रॉनिक्स ट्रांजेक्शन में धोखाधड़ी से ऐसे बचें

सामान्यतः जालसाज इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन में उपयोग की गयी सूचनाएं धोखे से हासिल कर उसका दुरुपयोग कर दूसरे के खाते से निकासी कर लेते हैं.

इस संबंध में समय-समय पर बैंकों द्वारा अपने खाते से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी दूसरे से शेयर करने के लिए मना किया जाता है. इसका पूर्णतः पालन हर लोगों को करना चाहिए.

Posted by Ashish Jha

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