गोपालगंज में ओवैसी ने कर दिया खेला, जानें BJP का किला ध्वस्त करने से कैसे चूक गयी राजद
भाजपा के लिए इस बार जीत काफी मुश्किल थी. भाजपा विरोधी मतों में विभाजन के कारण भाजपा का यह किला इस बार ध्वस्त होते-होते बच गया. बेहद करीबी मुकाबले में राजद की गोपालगंज में हार हुई है. 2005 से अब तक यह सीट भाजपा की रही और इस बार के चुनाव में भी भाजपा ने इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा.
पटना. पिछले विधानसभा चुनाव में जो काम चिराग पासवान ने जदयू के साथ किया, वही काम गोपालगंज में ओवैसी ने राजद के साथ कर दिया. भाजपा के लिए इस बार जीत काफी मुश्किल थी. भाजपा विरोधी मतों में विभाजन के कारण भाजपा का यह किला इस बार ध्वस्त होते-होते बच गया. बेहद करीबी मुकाबले में राजद की गोपालगंज में हार हुई है. 2005 से अब तक यह सीट भाजपा की रही और इस बार के चुनाव में भी भाजपा ने इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा.
बीजेपी के लिए अपना किला बचा पाना बेहद मुश्किल था
गोपालगंज को लेकर जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वो बता रहे हैं कि अगर भाजपा मतों का विभाजन नहीं होता तो परिणाम कुछ और होते. राजद उम्मीदवार की हार की सबसे बड़ी वजह ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के कैंडिडेट रहे. वैसे तेजस्वी यादव के मामा साधु यादव ने भी करीब आठ हजार मत पाने में कामयाब रहे. अगर साधु यादव और ओवैसी गोपालगंज में चुनावी फैक्टर नहीं होते तो बीजेपी के लिए अपना किला बचा पाना बेहद मुश्किल था.
ओवैसी के उम्मीदवार ने दिया राजद को सबसे बड़ा झटका
राजद को सबसे बड़ा झटका ओवैसी के उम्मीदवार ने दिया है. 18वें राउंड के बाद थावे के जिस पंचायतों में अल्पसंख्यक मतों का राजद को भरोसा था, वो ओवैशी के खाते में चले गये. राजद इन इलाकों में भाजपा को पीछे तो किया, लेकिन निर्णायक बढ़त नहीं बना पायी. यहां एआईएमआईएम के उम्मीदवार अब्दुल सलाम को 11 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं. इसका सीधा नुकसान राजद को हुआ है.
मामी इंद्राणी देवी को मिले 8000 वोट
गोपालगंज सीट से बीएसपी की उम्मीदवार के रूप में तेजस्वी यादव की मामी इंद्राणी देवी को 8000 वोट मिले हैं. साधु यादव की पत्नी इंद्राणी देवी ने राजद के कैडर वोट में सेंधमारी की है. इस सेंधमारी को ही राजद उम्मीदवार के हार की बड़ी वजह माना जा रहा है. भाजपा ने अपने इस किले को किसी तरह बचा लिया है, हालांकि हार जीत का अंतर बेहद कम रहा है.