पटना . कोविड के केस बढ़ने से राज्य भर के अस्पतालों में आॅक्सीजन की भारी किल्लत है. इन सब के बीच जब हमने अस्पतालों में आॅक्सीजन की स्थिति जानी तो काफी चौंकाने वाले तथ्य सामने आये. पता चला कि राजधानी पटना में कोई भी अस्पताल अपनी जरूरत की पूरी आॅक्सीजन का खुद उत्पादन नहीं करता है.
पटना एम्स और कुछ निजी अस्पतालों के पास आॅक्सीजन का विशाल स्टोर है, लेकिन वह भी बाहर से टैंकरों पर आॅक्सीजन मंगवाते हैं और अपने यहां स्टोर कर के रखते हैं. कोविड काल शुरू होने के बाद एनएमसीएच जैसे अस्पतालों में आॅक्सीजन प्लांट लगे हैं, लेकिन हमें मिली जानकारी के मुताबिक वहां भी प्रोडक्शन जरूरत से कम हो रहा है.
पीएमसीएच में आॅक्सीजन की रोजाना खपत करीब 900 सिलिंडर हैं. बुधवार तक यहां कोई आॅक्सीजन प्लांट काम नहीं कर रहा था. सारे आॅक्सीजन सिलेंडर यहां बाहर से मंगवाये जाते हैं. इसके बाद यहां या तो पाइपलाइन के जरिये या फिर सीधे सिलिंडर से ही आॅक्सीजन मरीज तक पहुंचाया जाता है.
अधीक्षक डाॅ आइएस ठाकुर का कहना है कि हाल में एक छोटा आॅक्सीजन प्लांट हमारे यहां लगाया गया है, अगले एक से दो रोज में वह चालू हो जायेगा. इसकी क्षमता रोजाना 50 से 60 सिलिंडर आॅक्सीजन प्रोडक्शन की होगी. इससे हमारे यहां इमरजेंसी के ग्राउंड फ्लोर की जरूरत को पूरा किया जा सकता है.
आइजीआइएमएस राज्य का सबसे बड़ा सुपर स्पेशियलिटी असपताल है. पिछले दिनों यहां कोविड का इलाज शुरू हुआ है और कोविड के सबसे गंभीर मरीजों को यहां रखा जाता है. अस्पताल के पास भी आज तक अपना आॅक्सीजन प्लांट नहीं हो पाया है. यहां भी बाहर से सिलिंडर मंगवा कर मरीजों को आॅक्सीजन दी जाती है.
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ मनीष मंडल कहते हैं कि हमारे यहां करीब 350 आॅक्सीजन सिलिंडर की रोजाना खपत हो रही है. अपना आॅक्सीजन प्लांट बैठाने को लेकर बातचीत चल रही है. उम्मीद है कि अगले दस दिनों में हम आॅक्सीजन प्लांट भी बैठा लेंगे.
पटना एम्स में भी आॅक्सीजन का प्रोडक्शन प्लांट नहीं है. यह भी बाहर से आॅक्सीजन मंगवाता है और अपने टैंक में स्टोर करता है. इसके चिकित्सा अधीक्षक डाॅ सीएम सिंह कहते हैं कि हमारे पास लिक्विड आॅक्सीजन टैंक है, जिसमें हम टैंकरों के जरिये आॅक्सीजन मंगवा कर स्टोर करते हैं. करीब सात दिनों का आॅक्सीजन हमारे पास स्टोर रहता है.
Posted by Ashish Jha