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पटना में करोड़ों की लागत से बना ऑक्सीजन प्लांट, एक साल बाद भी नहीं हो सका शुरू

पटना के कई ग्रामीण इलाकों के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट अब तक चालू नहीं हो सका है. खास कर जिले के फतुहा, बख्तियारपुर और बाढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं, जहां एक साल बीत जाने के बाद भी ऑक्सीजन प्लांट आज तक चालू नहीं हो सके.

आनंद तिवारी, पटना. कोरोना एक बार फिर दहलीज पर है, पटना जिले में रोजाना 50 से अधिक केस दर्ज किये जा रहे हैं. मगर, तकनीशियन के अभाव में जिले के कई ग्रामीण इलाकों के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट अब तक चालू नहीं हो सका है. खास कर जिले के फतुहा, बख्तियारपुर और बाढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं, जहां एक साल बीत जाने के बाद भी ऑक्सीजन प्लांट आज तक चालू नहीं हो सके. जानकारों की मानें, तो 80 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ 10 लाख के बीच लागत से एक प्लांट को मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के अलावा जिले के सभी सीएचसी व अनुमंडलीय अस्पतालों में लगाया गया था. हालांकि मसौढ़ी आदि जगहों पर प्लांट काम कर रहे हैं.

बख्तियारपुर में सिर्फ मॉकड्रिल के लिए आते हैं तकनीशियन

बिहार स्वास्थ्य विभाग व प्रधानमंत्री केयर फंड की संयुक्त प्रयास से बख्तियारपुर सीएचसी परिसर में करीब एक करोड़ 10 लाख रुपये की लागत से निर्मित ऑक्सीजन प्लांट महज शोभा की वस्तु बन कर रह गया है. पिछले साल अप्रैल महीने में ही बन कर तैयार प्लांट आज एक साल बाद भी चालू नहीं हो सका है. बहरहाल बाहर से सिलिंडर मंगवा कर या इलेक्ट्रॉनिक ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर से ऑक्सीजन की आपूर्ति मरीजों को मुहैया करायी जाती है. बड़ी बात तो यह है कि यहां जब मॉकड्रिल करने का आदेश स्वास्थ्य विभाग की ओर से आता है, तो प्राइवेट या भाड़े पर तकनीशियन को बुलाकर मॉकड्रिल का काम पूरा कराया जाता है. पीएचसी प्रभारी डॉ अमरेश सिन्हा का कहना है कि ऑक्सीजन प्लांट चलाने के लिए तकनीशियन की मांग लिखित में की जा चुकी है. इसके अलावा जो जेनरेटर है, उसे भी पूरे सीएचसी को जोड़ने के लिए कहा गया है. तकनीशियन मिलने के बाद इसे शुरू कर दिया जायेगा.

फतुहा में 30 बेड का अस्पताल, 12 मरीज भर्ती, प्लांट ठप

फतुहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल 30 बेड मरीजों के लिए बनाया गया है. यहां रोजाना 10 से 12 मरीज भर्ती के लिए आते हैं. खासकर यहां डिलिवरी के केस अधिक आते हैं. पिछले साल यहां भी पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया. इसके लिए 100 केवी के जेनरेटर भी लाखों रुपये खर्च कर मंगवाये गये. लेकिन इस प्लांट में मेंटेनेंस के अभाव में बंद पड़े हैं. इसे चलाने वाला तकनीशियन ही नहीं है. इसके अलावा जांच के लिए एक्स-रे मशीन तो है, लेकिन उस मशीन को चलाने वाला कोई तकनीशियन ही नहीं है. ऐसे में पिछले एक साल तीन महीने से जांच पूरी तरह से ठप है. मरीजों को बाहर से महंगे दाम खर्च कर जांच करानी पड़ रही है. यहां के प्रभारी डॉ गणपत मंडल का कहना है कि ऑक्सीजन व एक्स-रे दोनों को चलाने के लिए तकनीशियन की मांग की गयी है. उम्मीद है कि जो समस्या है वह जल्द ठीक हो जायेगी.

बाढ़ अनुमंडलीय अस्पताल में दम तोड़ रहा ऑक्सीजन प्लांट

कोविड के सभी लहरों में बाढ़ के अनुमंडल अस्पताल प्रशासन ऑक्सीजन प्लांट शुरु करने को लेकर तकनीशियन का रोना- रो रहे हैं.यहां के जिम्मेदार अधिकारियों के मुताबिक प्लांट शुरू करने के लिए कई बार सिविल सर्जन, पटना को पत्राचार किया गया. बावजूद अभी तक प्लांट को चालू करने से संबंधित तकनीशियन उपलब्ध नहीं कराया गया. यहां के जानकारों की मानें, तो अगर प्लांट चालू होता है, तो यहां प्रतिमाह 500 एलएमपी से अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकेगा. ऐसे में यहां के लोगों का कहना है कि मरीजों के लिए निर्मित ऑक्सीजन प्लांट कब तक चालू होगा यह पता नहीं है, लेकिन रखरखाव के अभाव में लाखों रुपये की लागत से बना ऑक्सीजन प्लांट कहीं दम न तोड़ दे.

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क्या कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ श्रवण कुमार ने कहा कि ऑक्सीजन प्लांट सही तरीके से चले, इसके लिए मेंटनेंस के साथ-साथ मॉकड्रिल भी करायी जा रही है. वहीं अगर किसी कारण ऑक्सीजन प्लांट बंद है, तो उसे हर हाल में चालू कराया जायेगा. इसके लिए बीएमआइसीएल से बात करूंगा.

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