बिहार के DMCH में 6 लाख रुपये के लिए बंद है 3 ऑक्सीजन प्लांट, सिलेंडर की खरीद पर हर माह खर्च हो रहे 15 लाख

बिहार के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल में कोरोना के दौरान ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति के लिए 4 ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किये गये. अब इनमें से 3 बन्द पड़े है, जबकि सिर्फ एक प्लांट आपूर्ति की जा रही है. बन्द पड़े प्लांट को सर्विसिंग की जरूरत बतायी जा रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 30, 2023 2:42 PM

दरभंगा. दरभंगा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में महज छह लाख के लिए तीन ऑक्सीजन प्लांट बंद पड़े हैं, जबकि अस्पताल प्रबंधन हर माह करीब 15 लाख रुपये केवल ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीद पर खर्च कर रहा है. इतना ही नहीं बंद इस तीन प्लांटों में कुल 9 ऑपरेटरों की ड्यूटी शिफ्ट में लगी हुई है. इनके वेतन पर सरकार का प्रतिमाह लाखों रुपये खर्च है. इसके अलावा दो टेक्नीशियन का भी वेतन चालू है.

सर्विसिंग नहीं होने के कारण बंद हैं तीन प्लांट

बिहार के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल में कोरोना के दौरान ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति के लिए 4 ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किये गये. अब इनमें से 3 बन्द पड़े है, जबकि सिर्फ एक प्लांट आपूर्ति की जा रही है. बन्द पड़े प्लांट को सर्विसिंग की जरूरत बतायी जा रही है. इस करीब 6 लाख रुपये का खर्च होना है. इसके लिए बीएमआइएससीएल को डीएमसीएच प्रशाशन की ओर से कई बार पत्र लिखा गया है, लेकिन सर्विस नहीं होने के कारण तीनों प्लान्ट बन्द पड़े हैं. इन तीन प्लांटों में कुल 9 ऑपरेटरों की ड्यूटी शिफ्ट में लगी हुई है. इनके वेतन पर सरकार का प्रतिमाह लाखों रुपये खर्च है. इसके अलावा दो टेक्नीशियन का भी वेतन चालू है.

सिलेंडर की खरीद पर हर माह 15 लाख खर्च

डीएमसीएच में तीन ऑक्सीजन प्लांट के बन्द रहने से औसतन 5000 हजार सिलेंडर प्रतिमाह बाहर से खरीदकर उपयोग किया जा रहा है, जिसकी खरीदारी लगभग 15 लाख रुपये प्रतिमाह खर्च हो रहा है. बताया गया है कि इमरजेंसी, शिशु रोग और प्रसूति रोग विभाग का ऑक्सीजन प्लांट बन्द है. इमरजेंसी में लगे प्लांट की क्षमता 2000 लीटर प्रति मिनट है, वही शिशु रोग विभाग वाले प्लान्ट की क्षमता 1000 लीटर प्रति मिनट है, ये करीब 6 महीने से बंद पड़ा है, जबकि प्रसूति रोग विभाग में लगे प्लान्ट की क्षमता 280 लीटर प्रति मिनट है. ये भी करीब तीन महीने से बंद बताया जा रहा है. इससे अस्पताल में भर्ती मरीजों को भी काफी परेशिानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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