Bihar: धान की फसल हुई पीली, किसानों पर कब मेहरबान होगा मॉनसून? अन्नदाता टकटकी लगाये देख रहे आसमान
बीते तीन दिनों में जमुई जिले में किसानों से आंख मिचौली खेल रहे बादलों ने राहत भरी बारिश तो की, लेकिन इस बारिश से खेतों की दरारें नहीं पट सकीं.हालांकि किसानों के बिचड़े जो जलने की कगार पर थे कुछ दिनों के लिए सुरक्षित हो गये.
बीते तीन दिनों में जमुई जिले में किसानों से आंख मिचौली खेल रहे बादलों ने राहत भरी बारिश तो की, लेकिन किसानों की उम्मीद अभी कायम नहीं हो सकी है. दरअसल मौसम विभाग ने इस हफ्ते भारी बारिश का अनुमान जताया था. लेकिन बीते 3 दिनों में 17.5 एमएम की ही बारिश हुई है. इस बारिश से खेतों की दरारें तो नहीं पट सकीं. हालांकि किसानों के बिचड़े जो जलने की कगार पर थे कुछ दिनों के लिए सुरक्षित हो गये.किसान अभी भी टकटकी लगाये आसमान को देख रहा है कि कब इंद्रदेव प्रसन्न होंगे और उनकी खरीफ की फसल लहलहा सकेगी.
कम बारिश होने से वैकल्पिक फसलों की खेती संभव नहीं
इस बारे में बात करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ सुधीर कुमार बताते हैं कि कम बारिश होने पर धान की वैकल्पिक फसलों की खेती की जा सकती है जिसमें मक्का, अरहर, मूंग, राई व सरसों शामिल है. लेकिन वह भी चिंता जाहिर करते हुए कहते हैं कि फिलहाल बारिश का जो रुख है उसमें तो वैकल्पिक फसलों की खेती भी संभव नहीं है. जिला आसन्न सूखे की ओर बढ़ रहा है वर्षा की यह स्थिति है कि जून महीने में इंद्रदेव ने कृपा नहीं की फिर भी 85.8% बारिश हुई थी.
कम बारिश मे सुखे पड़े खेत
जून महीने में जिले का औसत बारिश का रिकॉर्ड 164.5 एमएम है. लेकिन मात्र 108 एमएम बारिश हुई थी और जुलाई ने तो मानो रही सही कसर भी पूरी कर दी.लगभग दो तिहाई महीना बीत चुका है बारिश जहां 289.2 एम एम होनी चाहिए थी वहां मात्र 56.8 एमएम बारिश हुई है. उसमें भी अगर बीते तीन दिनों के 17 एमएम को निकाल दिया जाये तो 40 एमएम के लगभग बारिश महीने भर में हुई है. प्रकृति के इस मार से जिला आसन सूखे की ओर बढ़ रहा है.
पीली हुई धान की फसल
खरीफ की फसल की फिलहाल तो कोई उम्मीद नहीं है आगे कर मॉनसून मेहरबान होता है तो किसानों की जान में जान आयेगी. हालांकि धान की फसल तो पीली हो चली है. अब जबकि रोपनी समाप्त हो जानी चाहिए थी तो कृषि विभाग का आंकड़ा बताता है कि केवल सदर प्रखंड में दो फीसदी धान का आच्छादन हुआ है. शेष प्रखंडों में यह भी नहीं हुआ है. खेतों में भी बिचड़े अब मरने की कगार पर हैं. अगर उनको राहत नहीं मिली तो जिला अकाल की ओर बढ़ चलेगा.