बांका जिले में धनरोपनी पांच फीसदी के पार तक नहीं पहुंच पाया है. वर्षा पर आधारित क्षेत्र का हाल बेहद बुरा है. बिजली व बोरिंग के सहारे कुछ क्षेत्रों में धनरोपनी में जबरदस्त रफ्तार भी दिख रही है. बांका प्रखंड क्षेत्र के अमरुपर, चुटिया सहित कई बहियार में बिजली बोरिंग के जरिये अच्छी-खासी खेती की गयी है. बहरहाल, पूरे जिले की बात करें तो रिपोर्ट काफी निराशाजनक है.
चहुंओर खरीफ के किसानों के चेहरे पर घनघोर चिंता की लकीर है. शुरुआत अगस्त में बारिश तो हो रही है लेकिन, इसका अपेक्षित लाभ किसान नहीं उठा पा रहे हैं. जिनका बिचड़ा बचा हुआ है, उनकी खेती तो किसी तरह हो रही है. लेकिन, जिनका बिचड़ा धूप में सूख गया, उन्हें बिचड़ा का अभाव हो गया है. देखा जाय तो जिले में दो-तीन दिन से हो रही बारिश का धान फसल पर कोई खास लाभ नहीं मिल रहा है.
ज्ञात हो कि जिले में इस बार 98000 हेक्टेयर के आसपास धान की खेती होनी है. लेकिन, यह अब संभव होता नहीं दिख रहा है. इस बीच डीजल अनुदान के लिए कृषि का डीबीटी पोर्टल ऑनलाइन आवेदन के लिए खोल दिया गया है. अबतक करीब 300 के आसपास किसानों ने डीजल अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर दिया है.
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खरीफ खेती पर पानी की कमी को देखते हुए डीएम अंशुल कुमार ने भी कृषि टास्क फोर्स की बैठक बुलाई. जिसमें धनरोपनी की प्रतिशता बढ़ाने पर विशेष रूप से बल दियसा गया. साथ ही किसानों को नियमानुसार डीजल अनुदान का लाभ देने का निर्देश भी दिया. बैठक में अपर समाहर्ता माधव कुमार सिंह, डीएओ विष्णुदेव रंजन कुमार सहित अन्य अधिकारीगण मौजूद थे.
देखा जाय तो जून के बाद जुलाई में भी काफी कम बारिश हुई. जुलाई में औसत बारिश 89.82 एमएम हुई. जबकि, अबतक अगस्त में दो-तीन दिन के अंदर 16.64 एमएम तक बारिश हो चुकी है. किसानों को इस माह में अच्छी बारिश की आस है. हालांकि, अगस्त का सामान्य वर्षापात 257.59 एमएम है.
Published By: Thakur Shaktilochan