तेरह मास का होगा साल 2023, दो महीने तक रहेगा सावन, 19 साल बाद बन रहा ऐसा संयोग, जानें नव वर्ष की डिटेल्स

नव वर्ष 2023 मलमास वाला साल होगा. नव संवत्सर में आने वाला नया साल तेरह मास का होगा. इस वर्ष में सावन माह दो माह का रहेगा. जिसकी अवधि 59 दिनों की रहेगी. इस वर्ष मलमास के कारण 19 साल बाद दो श्रावण मास होंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | December 10, 2022 8:27 AM

पटना. हिंदू पंचांग के अनुसार हर तीन वर्ष में एक अतिरिक्त मास का प्राकट्य होता है, जिसे अधिकमास, मलमास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है. हिंदू धर्म में इस माह का विशेष महत्व है. नव वर्ष 2023 मलमास वाला साल होगा. नव संवत्सर में आने वाला नया साल तेरह मास का होगा. इस वर्ष में सावन माह दो माह का रहेगा. जिसकी अवधि 59 दिनों की रहेगी. हिंदू धर्मपरायण के मानने वाले लोग इस पूरे मास में पूजा-पाठ, व्रत-उपवास, जप और योग आदि धार्मिक कार्य करते है. इस वर्ष मलमास के कारण 19 साल बाद दो श्रावण मास होंगे.

मलमास की अवधि 18 जुलाई से 16 अगस्त, 2023 तक

18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा. हर 32 महीने और 16 दिन के बाद मलमास पड़ता है. सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में जाने पर संक्रांति होती है. सौर मास में 12 और राशियां भी 12 होती है, लेकिन जब दोनों पक्षों में संक्रांति नहीं होती है तब अधिकमास या मलमास होता है. ज्योतिषी झा के मुताबिक मलमास में भगवान विष्णु का पूजन, ग्रह शांति, दान-पुण्य, तीर्थ यात्रा, विष्णु मंत्रों का जाप विशेष लाभकारी होता है. विष्णु पूजन करने वाले साधकों को भगवान विष्णु स्वयं आशीर्वाद देते हैं, उनके पापों का शमन करते हैं और इच्छाएं पूरी करते हैं.

चार जुलाई से 31 अगस्त, 2023 तक रहेगा सावन मास

ज्योतिषाचार्य राकेश झा ने बताया कि भारतीय हिंदू कैलेंडर सूर्य मास और चंद्र मास की गणना के अनुसार चलता है. अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है. इसका आगमन सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है. भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है. दोनों वर्षों के बीच 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग एक मास के बराबर हो जाता है. भारत को आजादी श्रावण मलमास में मिली थी. 1947 में श्रावण कृष्ण द्वितीया को 14 अगस्त की मध्यरात्रि के बाद भारत स्वतंत्र हुआ था. इसीलिए 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं. 1947, 1966, 1985, 2004 के बाद 19वें वर्ष में श्रावण अधिकमास 2023 में पड़ रहा है.

अधिकमास के स्वामी भगवान विष्णु

पंडित गजाधर ने बताया कि अधिकमास के अधिपति स्वामी श्रीहरि विष्णु हैं. पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है. इसीलिए इस मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. ऋषि-मुनियों ने अपनी गणना पद्धति से हर चंद्र मास के लिए एक देवता निर्धारित किये.

शुभ मांगलिक कार्य वर्जित

हिंदू धर्म में अधिकमास के दौरान सभी पवित्र कर्म वर्जित हैं. माना जाता है कि अतिरिक्त होने के कारण यह मास मलिन होता है. इसीलिए इस मास में हिंदू धर्म के विशिष्ट संस्कार नामकरण, मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार का शुभारंभ, नयी बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदी नहीं होती हैं.

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