Panchayat Chunav: ठंड के बीच गांव सियासी, पंचायत चुनाव के लिए सक्रिय नेता जी और ‘विकास’ के हसीन सपने

Panchayat Chunav: बिहार में जारी कड़ाके ठंड के बीच गांव की राजनीति (Village Politics) गरमाने लगी है. पंचायत चुनाव की तारीखें अभी भले ही तय ना हुई हों लेकिन सोशल मीडिया (Social Media) पर माहौल तैयार होने लगा है. कहीं नव वर्ष की अभी से ही शुभकामनाएं (New Year Wishes) दी जा रही तो कहीं विकास के दावे किये जा रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2020 4:51 PM

Bihar Panchayat Chunav: बिहार में जारी कड़ाके ठंड के बीच गांव की राजनीति गरमाने लगी है. पंचायत चुनाव की तारीखें अभी भले ही तय ना हुई हों लेकिन सोशल साइट पर माहौल तैयार होने लगा है. कहीं नव वर्ष की अभी से ही शुभकामनाएं दी जा रही तो कहीं विकास के दावे किये जा रहे. फेसबुक, ट्यूटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप पर मुहिम भी शुरू की गयी है.

विधानसभा चुनाव के बाद ग्रामीण क्षेत्र में अब त्रिस्तरीय पंचायती राज चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है. पंचायती राज के विभिन्न पदों पर चुनाव लडने वाले संभावित उम्मीदवारों ने ताल ठोकना शुरू कर दिया है. जिला परिषद, मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य से लेकर वार्ड सदस्य पद के लिये संभावित उम्मीदवारों की चहलकदमी शुरू हो चुकी है. पंचायतों में सोशल मीडिया के संभावित उम्मीदवार प्रचार प्रसार करने लगे हैं.

पुराने के साथ-साथ नये चेहरे भी ताल ठोकने को आतुर हैं. मार्च अप्रैल में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर गांवों में चर्चाएं भी तेज हो गई है. वर्तमान जनप्रतिनिधियों से लेकर पुराने दावेदारों के बीच नये-नये दावेदार भी सामने आने लगे हैं. विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद से ही राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी पंचायत चुनाव के दंगल में कूदने को तैयार हैं.

कुल मिलाकर पंचायतों में पंचायत चुनाव को लेकर चर्चा होनी शुरू हो गई है. चाय पान की दुकानों से लेकर चौक-चौराहों पर संभावित उम्मीदवारों की चर्चाएं हो रही है. इसके साथ ही बहस हो रही है ईवीएम पर. सभांवना है कि इस बार चुनाव ईवीएम पर होगा. इसे लेकर भी लोगों के बीच कई सवाल हैं. मार्च अप्रैल में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर चार महीने पूर्व से ही तैयारियां को अमलीजामा पहनाया जा रहा है. संभावित उम्मीदवार वोटरों का मन टटोल रहे हैं. वर्तमान जनप्रतिनिधियों के कार्यप्रणाली की चर्चाएं हो रही है, विरोधी उनके खामियों को गिना रहे हैं.

राजनीतिक दलों की बढ़ी हुई है सक्रियता

पंचायत स्तर पर होने वाला चुनाव भले दलीय नहीं है, लेकिन राजनीतिक दलों के लिए यह काफी अहम होता है. इस कारण पंचायत एवं प्रखंड स्तर के कार्यकर्ता इसमें अपनी भागीदारी करते हैं. कई पंचायत एवं प्रखंडों में तो राजनीतिक दल के बड़े नेता भी अपनी किस्मत आजमाते हैं.

यहां से प्रखंड प्रमुख एवं जिला परिषद अध्‍यक्ष तक की कुर्सी पर उनकी नजर होती है. कई ऐसे जिला परिषद अध्‍यक्ष हुये हैं जिन्‍होंने जिला एवं प्रदेश की राजनीति में लंबी पारी खेली है. यही वजह है राजनीतिक दल के बड़े नेता भी पंचायत चुनाव में अपनी सहभागिता कहीं पर्दे के सामने तो कहीं पर्दे के पीछे से दिखाते हैं.

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Posted By: Utpal Kant

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