एम-2 माडल से ही होगा बिहार में पंचायत चुनाव, ईवीएम जुटाने में जुटा निर्वाचन आयोग

कोरोना के कारण टल चुका पंचायत को राज्य निर्वाचन आयोग अगले दो से तीन महीनों में कराने की तैयारी में जुट गया है. इसको लेकर पर्याप्त संख्या में इवीएम जुटाने की नये सिरे से तैयारी शुरू कर दी गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 17, 2021 1:40 PM

पटना. कोरोना के कारण टल चुका पंचायत को राज्य निर्वाचन आयोग अगले दो से तीन महीनों में कराने की तैयारी में जुट गया है. इसको लेकर पर्याप्त संख्या में इवीएम जुटाने की नये सिरे से तैयारी शुरू कर दी गयी है. इसके लिए दूसरे राज्यों से इवीएम उपलब्ध कराने को लेकर पत्राचार किया जा रहा है.

सूत्रों की मानें तो राज्य निर्वाचन आयोग ने दूसरे प्रदेशों से एम-2 माडल की ईवीएम मंगाने का फैसला किया है. इसके अलावा राज्य निर्वाचन आयोग के पास अपना भी ईवीएम है. ऐसे में जरूरत को ध्यान में रखकर ही आयोग ईवीएम मंगा जायेगा.

माना जा रहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग सितंबर में पंचायत चुनाव का कार्यक्रम जारी कर सकता है. पंचायत चुनाव के लिए आयोग को छह पदों के लिए अधिक संख्या में इवीएम की आवश्यकता है.

एम-2 माडल ईवीएम

राज्य निर्वाचन आयोग एम-3 माडल ईवीएम से चुनाव करना चाहता था, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली. भारत निर्वाचन आयोग ने एम-3 माडल ईवीएम इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी. ऐसे में अब अंतिम रूप से एम-2 माडल से चुनाव कराने का निर्णय राज्य निर्वाचन आयोग ने लिया है.

छह श्रेणी के 2.50 लाख पदों पर होगा चुनाव

बिहार में कितने एम-2 माडल ईवीएम की आवश्यकता होगी, इसका आकलन राज्य निर्वाचन आयोग के स्तर पर अब तक नहीं किया गया है. इतना तय है कि त्रिस्तरीय पंचायतों के 2.50 लाख पदों पर आयोग को चुनाव संपन्न कराना है. इसके लिए अगर एम-2 माडल ईवीएम से चुनाव होता है तो आयोग को एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा.

इतना ही नहीं अब एम-2 माडल की ईवीएम से पंचायत चुनाव कराने के लिए 90 हजार कंट्रोल यूनिट और 90 हजार बैलेट यूनिट की आवश्यकता होगी. पंचायतों में छह पदों के लिए चुनाव होने हैं, जिसमें छह बैलेट यूनिट में डाले गए मतों का डाटा छह कंट्रोल यूनिट में संग्रहित होगा.

ईवीएम-एम-2 व एम-3 क्या है अंतर

ईवीएम के दोनों माडलों में काफी अंतर है. एम-3 माडल की ईवीएम से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने पर एक कंट्रोल यूनिट और छह बैलेट यूनिट के साथ एक एसडीएमएम (सिक्योर डिटैचेबल मेमोरी माड्यूल) चिप की आवश्यकता होती.

ऐसे में सिर्फ 15 हजार कंट्रोल यूनिट और 90 हजार बैलेट यूनिट के रहने पर पंचायत के सभी पदों के चुनाव कराए जा सकते थे. केवल एसडीएमएम चिप को बाहर निकलकर ईवीएम को दूसरे चरण के मतदान के लिए भेजा जा सकता था.

Posted by Ashish Jha

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