बिहार में तीन हजार से कम आबादी वाली पंचायतों का होगा विलय, जानिये कैसे होगा पुनर्गठन
राज्य में नये नगर निकायों के गठन के बाद उससे प्रभावित होनेवाली ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन का संकल्प पंचायती राज विभाग ने जारी कर दिया है.
पटना. राज्य में नये नगर निकायों के गठन के बाद उससे प्रभावित होनेवाली ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन का संकल्प पंचायती राज विभाग ने जारी कर दिया है.
विभाग द्वारा जारी संकल्प में स्पष्ट किया गया है कि प्रभावित होनेवाली ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन 1991 की जनगणना के आधार पर किया जायेगा. इसमें 1991 की जनगणना में तीन हजार हजार से कम जनसंख्या वाली पंचायतों का ही पुनर्गठन किया जायेगा.
पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने बताया कि जिन ग्राम पंचायत क्षेत्रों की आबादी 1991 की जनगणना के अनुसार तीन हजार या उससे अधिक रह जायेगी और उनका मुख्यालय ग्राम पंचायत क्षेत्र में ही बचा होगा, तो बाकी ग्राम पंचायत क्षेत्र को पूर्व के नाम के साथ ग्राम पंचायत के रूप में बने रहने दिया जायेगा.
यदि नगर निकाय क्षेत्र में उस ग्राम पंचायत का मुख्यालय ही समाहित हो गया है, तो पुनर्गठित ग्राम पंचायत के लिए मुख्यालय ग्राम का निर्धारण का प्रावधान पूर्ववत रहेगा.
जरूरत पड़ने पर निर्वाचन क्षेत्रों के आरक्षण में भी होगा बदलाव
जिस ग्राम पंचायत की आबादी 3000 से कम रह जायेगी उस क्षेत्र को समीपवर्ती ग्राम पंचायत या ग्राम पंचायतों में शामिल कर पूर्व ग्राम पंचायत का अस्तित्व समाप्त कर दिया जायेगा. आवश्यक होने पर समीपवर्ती ग्राम पंचायत का पुनर्गठन या नामकरण पंचायती राज अधिनियम के तहत किया जायेगा.
पुनर्गठन के बाद ग्राम पंचायतों और उसके निर्वाचन क्षेत्रों के आरक्षण में किसी संभावित बदलाव की आवश्यकता होगी, तो राज्य सरकार विधि विभाग के परामर्श से अलग से निर्देश जारी करेगी.
कैसे होगा पुनर्गठन
मीणा ने बताया कि ग्राम पंचायतों के गठन का कार्य जिला के दंडाधिकारी द्वारा हर प्रखंड में स्थित ग्रामों के लिए ग्राम पंचायत की घोषणा करेंगे. किसी भी ग्राम पंचायत को विभक्त नहीं किया जायेगा जब तक कि उसमें दो या उससे अधिक ग्राम पंचायत क्षेत्र घोषित करना आवश्यक नहीं हो.
एक से अधिक ग्राम पंचायतों को समाविष्ट कर घोषित ग्राम पंचायत क्षेत्र का मुख्यालय उक्त क्षेत्र में समाविष्ट अधिसंख्यक जनसंख्या वाला गांव होगा. यदि कुल एससी, एसटी व पिछड़े वर्गों की संख्या जनसंख्या के 50 प्रतिशत से अधिक हो, तो उसका मुख्यालय वह गांव होगा जिसमें एससी, एसटी या पिछड़े वर्गों की संख्या अधिक हो.
Posted by Ashish Jha