Papmochani Ekadashi 2023: सनातन धर्म में एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. हिन्दू वर्ष की अंतिम एकादशी यानि चैत्र कृष्ण एकादशी शनिवार को शुभ योगों के महासंयोग में मनायी जायेगी. साधु-संत, वैष्णव व गृहस्थ जन एकसाथ एकादशी का व्रत करेंगे. इस एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है. वर्ष में कुल 24 एकादशी होती है, जिसमें पापमोचनी एकादशी का अपना विशेष स्थान है. पुराणों के अनुसार किसी जातक से जाने-अनजाने में किये गये पापों का प्रायश्चित करने के लिए पापमोचनी एकादशी सबसे उत्तम व्रत है. इस दिन भगवान श्रीहरि की पूजा, विष्णु सहस्त्रनाम पाठ, गजेन्द्रमोक्ष, श्रीमद्भागवत, जाप आदि की जाती है. प्रभु श्रीकृष्ण ने इसके फल व प्रभाव को अर्जुन के समक्ष प्रस्तुत किए थे. इस व्रत को करने से साधक पापों से मुक्त को मोक्ष को प्राप्त होते हैं.
आचार्य राकेश झा शास्त्री ने कहा कि पापमोचनी एकादशी व्रत चार साल बाद श्रवण नक्षत्र व शिव योग में मनायी जायेगी. इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग एवं शुभाशुभे दव्यगुण्कर द्विपुष्कर योग का भी संयोग बन रहा है. इस पुण्यकारी योग में एकादशी का व्रत करने से श्रद्धालु को सर्व पापों से मुक्ति, तमाम कष्टों का निवारण व सहस्त्र गौदान का पुण्यफल प्राप्त होगा. इस व्रत का पारण रविवार को गाय की घी से किया जायेगा.
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ज्योतिषाचार्य पं अजित मिश्रा बताते हैं कि पापमोचनी एकादशी पर एक छोटा सा प्रयोग आपके और आपके परिवार के सभी लोगों का कष्ट दूर कर सकता है. ऐसी मान्यता है कि पापमोचनी एकादशी पर भगवान विष्णु मनुष्यों के हर पाप को हर लेते हैं. ऐसे में अगर आप किसी परेशानी में हैं तो एक कटोरी में थोड़ा सा हल्दी और तुसली का पत्ता रखकर किसी ब्राह्मण को दान कर दें. साथ ही, भगवान विष्णु की षोडशोपचार विधि से पूजा करें. इससे भगवान सारी मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं.